सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन व्रत का कथा का पाठ करने से साधक को व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी व्रत किया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विशेष चीजों का दान किया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन उपासना और व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। सभी तरह के पापों से छुटकारा मिलता है। इस तिथि पर पूर्वजों का तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे साधक को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आइए पढ़ते हैं इंदिरा एकादशी की व्रत कथा।
इंदिरा एकादशी व्रत कथा
सतयुग में इंद्रसेन नाम का राजा था। वह माहिष्मती क्षेत्र में शासन किया करते थे। वह जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते थे। एक बार ऐसा समय आया कि जब देवर्षि नारद राजा इंद्रसेन की सभा में पहुचें। इंद्रसेन ने उनकी सेवा की और सभा में आने का कारण पूछा। उन्होंने कहा कि वह कुछ दिन पहले वो यमलोक गए थे, जहां उनकी मुलाकात आपके (इंद्रसेन) के पिता से हुई।
उनके पिता ने बताया कि व्रतभंग होने की वजह से वो यमलोक की पीड़ा का सामना करने के लिए मजबूर है। इसी वजह से उन्होंने आपके लिए मेरे द्वारा संदेश भेजा है कि आप आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें। इस व्रत को करने से वो स्वर्गलोक को प्राप्त कर सकें।
इसके बाद इंद्रसेन ने विधिपूर्वक इंदिरा एकादशी व्रत किया और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चन की। राजा इंद्रसेन ने मौन रह कर गौ दान किया। इस व्रत के फल से उनके पिता को यमलोक की पीड़ा से छुटकारा मिला और बैकुंठ लोक की प्राप्ति हुई। इसी वजह से आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम इंदिरा एकादशी पड़ा।
इंदिरा एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त
इस बार आज यानी 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी व्रत किया रहा है।
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत-17 सितंबर को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।