धनतेरस का पर्व दीवाली की शुरुआत है जो कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धन्वंतरि मां लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा होती है। आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं जो इस प्रकार हैं –
धनतेरस का पावन पर्व, जो दीवाली की शुरुआत का प्रतीक है। यह हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 18 अक्टूबर, दिन शनिवार 2025 को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस शुभ दिन पर सोना, चांदी और बर्तन खरीदने से धन में 13 गुना वृद्धि होती है।
लेकिन, इस शुभ समय में की गई एक छोटी सी गलती भी आपके घर में दुर्भाग्य ला सकती है। दरअसल, धनतेरस के दिन कुछ चीजें ऐसी हैं, जिन्हें गलती से नहीं खरीदना चाहिए, क्योंकि ये चीजें घर में दरिद्रता का कारण बन सकती हैं, तो आइए उनके बारे में जानते हैं।
धनतेरस पर न खरीदें ये चीजें
धारदार या नुकीली वस्तुएं
धनतेरस पर चाकू, कैंची, पिन या कोई भी धारदार वस्तु खरीदना अशुभ माना जाता है। लोहे से बनी इन नुकीली चीजों को खरीदने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और लक्ष्मी माता नाराज हो सकती हैं। अगर आपको लोहे का कोई सामान खरीदना ही है, तो उसे धनतेरस से एक दिन पहले खरीद लें।
चमड़े की वस्तु
इस दिन चमड़े की वस्तुएं न खरीदें। इन्हें अपवित्र माना जाता है। इन्हें खरीदने से घर में दरिद्रता और दुर्भाग्य आ सकता है।
प्लास्टिक और कांच के सामान
कुछ लोग धनतेरस पर प्लास्टिक के डिब्बे या सजावट का सामान खरीदते हैं। प्लास्टिक को ज्योतिष में स्थायी धन का प्रतीक नहीं माना जाता है, इसलिए इसे धनतेरस पर नहीं खरीदना चाहिए। इसी तरह कांच का संबंध राहु ग्रह से माना जाता है, इसलिए कांच से बनी चीजें खरीदना भी अशुभ फल दे सकती हैं।
काले रंग की वस्तुएं
धनतेरस और दीवाली का त्योहार रोशनी और शुभता का प्रतीक है। ऐसे में इस दिन काले रंग की कोई भी चीजें विशेषकर कपड़े, वाहन या सजावट का सामान नहीं खरीदना चाहिए। इससे घर में नकारात्मकता बढ़ सकती है।
अशुद्ध धातु
इस दिन नकली या मिलावटी सोना, पीतल या अन्य धातुएं नहीं खरीदनी चाहिए। अगर आप महंगे धातु नहीं खरीद सकते, तो मिट्टी का दीपक, धनिया या झाड़ू खरीद सकते हैं, जो बेहद शुभ माने जाते हैं।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।