आज है सोम प्रदोष व्रत, बन रहे ये योग शुभ-अशुभ

03 नवंबर 2025 के अनुसार, आज यानी 03 नवंबर को सोम प्रदोष व्रत किया जा रहा है। यह दिन महादेव को समर्पित है। इस दिन संध्याकाल में पूजा करने का विधान है।

आज यानी 03 नवंबर को कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से साधकों को महादेव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन के सभी दुख दूर होते हैं। इस दिन कई योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में।

तिथि: शुक्ल त्रयोदशी
मास पूर्णिमांत: कार्तिक
दिन: सोमवार
संवत्: 2082

तिथि: 4 नवम्बर को शुक्ल त्रयोदशी रात्रि 02 बजकर 05 मिनट तक
योग: हर्षण सायं 07 बजकर 40 मिनट तक
करण: कौलव दोपहर 03 बजकर 40 मिनट तक
करण: 4 नवम्बर तैतिल रात्रि 02 बजकर 05 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 43 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 34 मिनट पर
चंद्रोदय: दोपहर 03 बजकर 54 मिनट पर
चन्द्रास्त: 3 नवम्बर को सुबह 04 बजकर 57 मिनट पर

सूर्य राशि: तुला
चंद्र राशि: मीन
पक्ष: शुक्ल

आज के शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक
अमृत काल: प्रातः 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक

आज के अशुभ समय

राहुकाल: प्रातः 07 बजकर 57 मिनट से प्रातः 09 बजकर 19 मिनट तक
गुलिकाल: दोपहर 01 बजकर 27 मिनट से दोपहर 02 बजकर 49 मिनट तक
यमगण्ड: प्रातः 10 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12बजकर 04 मिनट तक

आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में रहेंगे…
उत्तर भाद्रपद नक्षत्र: दोपहर 03 बजकर 05 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: क्रोधी, स्थिर मन, अनुशासनप्रिय, आक्रामक, गंभीर व्यक्तित्व, उदार, मिलनसार, दानशील, ईमानदार, कानून का पालन करने वाले, अहंकारी और बुद्धिमान
नक्षत्र स्वामी: केतु देव
राशि स्वामी: बृहस्पति देव
देवता: निरति (विनाश की देवी)
प्रतीक: पेड़ की जड़े

सोम प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
जब प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ता है, तब उसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। ‘प्रदोष’ का अर्थ है संध्या का समय, और इसी समय शिव भक्त महादेव की आराधना करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने पर रोग, कष्ट और भय से मुक्ति मिलती है तथा मानसिक शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि:
प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निराहार रहें।
सायंकाल सूर्यास्त के बाद घर या शिव मंदिर में पूजा स्थल तैयार करें।
भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और नंदी की मूर्तियाँ स्थापित करें।
दीपक जलाकर गंगाजल, बिल्वपत्र, दूध, धतूरा, और पुष्प अर्पित करें।
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग का अभिषेक करें।
शिव-पार्वती की आरती करें और प्रदोष कथा का श्रवण करें।
रात्रि में फलाहार ग्रहण करें और ब्राह्मणों को दान दें।
यह व्रत न केवल भौतिक सुख देता है, बल्कि आत्मिक शांति का भी मार्ग प्रशस्त करता है।

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