हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष अमावस्या का विशेष महत्व है। यह तिथि भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और पितरों की आराधना के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। इस माह की अमावस्या तिथि पर किए गए स्नान-दान और पितृ तर्पण से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसे अगहन अमावस्या भी कहते हैं। इस साल यह 20 नवंबर यानी आज के दिन मनाई जा रही है, तो आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
मार्गशीर्ष अमावस्या स्नान-दान समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 53 मिनट से 05 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। इस दौरान साधक स्नान-दान कर सकते हैं।
अमावस्या पर स्नान-दान का महत्व
मार्गशीर्ष अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से कई गुना अधिक फल मिलता है। यह दिन पितरों को समर्पित होता है। इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से उन्हें शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या पर किए गए दान से सभी पापों का नाश होता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पूजन नियम
सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करने जाएं।
अगर यह संभव न हो, तो घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के कलश से अर्घ्य दें।
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अपने पितरों के लिए जल से तर्पण करें।
पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है। ऐसे में इस दिन पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।
क्षमता के अनुसार गरीब या ब्राह्मण को तिल, काला कंबल, अनाज या कपड़े का दान करें।
मार्गशीर्ष अमावस्या पितृ पूजन मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।।
ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः।।
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः।।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।