मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई सारे उपाय बताए गए हैं। यह एकादशी (Mokshada Ekadashi 2025 Ke Upay) गीता जयंती के रूप में भी मनाई जाती है, आइए इस दिन से जुड़े प्रमुख उपायों को जानते हैं।
मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, मोक्षदा एकादशी 01 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस तिथि पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। वहीं, इस दिन (Mokshada Ekadashi 2025) पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष दिलाने के लिए भी कुछ उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करने से पितरों को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है, तो आइए उन उपायों को जानते हैं।
मोक्षदा एकादशी पर करें ये उपाय
तुलसी पूजा
एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल जरूर अर्पित करें। पूजा के बाद अर्पित किए गए तुलसी दल में से कुछ दल उठाकर अपने पितरों के नाम से जल में प्रवाहित करें या उन्हें पीपल के पेड़ की जड़ में रखें। देवी तुलसी को मोक्ष दायिनी भी माना गया है। ऐसे में इस उपाय को करने पितरों प्रसन्न होकर सुख-शांति का आशीर्वाद देते हैं।
दीपदान
शाम के समय अपने घर के दक्षिण दिशा में या किसी पीपल के पेड़ के नीचे पितरों के नाम से शुद्ध घी का एक दीपक जलाएं। दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है। कहा जाता है कि यहां दीपदान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
पीपल के वृक्ष की पूजा
मोक्षदा एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष को जल दें। जल देते समय अपने पितरों का ध्यान करें और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
ऐसा करने से पितृ दोष शांत होता है और उन्हें मुक्ति मिलती है।
ब्राह्मण भोज और दान
एकादशी व्रत पारण से पहले किसी गरीब या ब्राह्मण को घर बुलाकर श्रद्धापूर्वक सात्विक भोजन कराएं। भोजन के बाद उन्हें वस्त्र, अन्न या दक्षिणा का दान करें। दान की जाने वाली वस्तुएं पीले रंग की हों, तो और भी अच्छा है। ऐसा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गीता का पाठ
यह एकादशी ‘गीता जयंती’ के रूप में भी मनाई जाती है, इसलिए इस दिनश्रीमद्भगवद्गीता का पाठ या उसके किसी अध्याय का पाठ करें।
कहा जाता है कि इस दिन गीता का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।