5 दिसंबर से पौष माह की शुरुआत हो रही है, जो 3 जनवरी की पूर्णिमा तक चलेगा। यह माह धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस महीने में नियमों और धार्मिक परंपराओं का पालन करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव और सौभाग्य की वृद्धि होती है। खासकर यह समय व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में शांति और समृद्धि लाने का अवसर प्रदान करता है।
हालांकि, इस माह में कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन नियमों का उल्लंघन करने पर अशुभ परिणाम हो सकते हैं। इसलिए पौष महीने में अपनी आदतों और कार्यों पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। इस समय की जागरूकता और सावधानी जीवन में नकारात्मक प्रभावों से बचाने में मदद करती है और सौभाग्य और सफलता को बढ़ाती है।
विवाह और मुंडन जैसे धार्मिक कार्य
पौष माह में किसी भी प्रकार के विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या अन्य धार्मिक अनुष्ठान करना अशुभ माना जाता है। इन कार्यों का प्रभाव इस समय उल्टा पड़ सकता है और जीवन में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
नए व्यवसाय या बड़े कार्य की शुरुआत
यह समय नए कारोबार, निवेश या किसी बड़े प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। ऐसे कार्य करने पर आर्थिक नुकसान या अप्रत्याशित कठिनाइयां आ सकती हैं।
तेल की मालिश
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष माह में तेल की मालिश करने से परहेज़ करना चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य या ऊर्जा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अनियंत्रित क्रोध और अनुचित वाणी का प्रयोग
पौष माह में संयमित रहना और सौम्य व्यवहार अपनाना अत्यंत आवश्यक है। क्रोध या कठोर वाणी से रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है और जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है।
पौष माह में करने योग्य शुभ कार्य
सूर्य देव की पूजा और अर्घ्य
प्रतिदिन भगवान सूर्य को जल अर्पित करना और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करना शुभ फलदायी है। ऐसा करने से स्वास्थ्य में सुधार, आत्मविश्वास में वृद्धि और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
तिल का दान
इस महीने तिल का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। तिल का दान आर्थिक स्थिरता लाने और मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
शुभ आहार का सेवन
पौष माह में गुड़, अदरक, लहसुन और तिल का सेवन करना लाभकारी माना गया है। ये पदार्थ शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और सौभाग्य बढ़ाते हैं।
नए अनाज का भोग
नए अनाज का सेवन करने से पहले देवी-देवताओं को भोग अर्पित करना आवश्यक है। ऐसा न करने पर नए अन्न का पूर्ण लाभ नहीं मिलता।
भक्ति और संयम
इस महीने भगवान की भक्ति में मन लगाना, संयमित रहना, सौम्य व्यवहार बनाए रखना और क्रोध से दूर रहना जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है। यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का साधन है।
पौष माह तिथि महत्त्व
द्रिंग पंचांग के अनुसार, पौष माह 2025 की शुरुआत 5 दिसंबर, शुक्रवार से हो रही है और यह माह 3 जनवरी 2026, शनिवार तक चलेगा। हिंदू धर्म में पौष माह का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना जाता है। इसे पितरों के तर्पण और धार्मिक कर्मकांड के लिए अत्यंत शुभ समय कहा जाता है।
पौष माह में भगवान विष्णु और सूर्य देव की उपासना करने से जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस महीने की पूजा-अर्चना करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। धार्मिक दृष्टि से यह समय अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव, आध्यात्मिक उन्नति और भगवान के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बेहद अनुकूल माना जाता है।
सूर्य देव के मंत्र
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।