हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार अप्सराएं बेहद सुंदर और आकर्षक होती थीं। इनका उल्लेख हिंदू पौराणिक कथाओं के अलावा, बौद्ध पौराणिक कथाओं और चीनी पौराणिक कथाओं में भी उल्लेख मिलता है। यूनानी ग्रंथों में अप्सराओं को ‘निफ’ नाम से संबोधित किया गया है।
अप्सराएं स्वर्ग में रहती थीं, किसी खास प्रयोजन के लिए वो पृथ्वी पर आती थीं। हिंदू पुराणों में ऐसी कहानियां हैं जिसमें इस बात का प्रमाण मिलता है। स्वर्ग में रहने वाली इन अप्सराओं का मुख्य कार्य था नृत्य के जरिए देवताओं का मनोरंजन करना। बेहद खूबसूरत होने के कारण देवता भी इनसे हमेशा प्रसन्न रहते थे।
हमारे धर्म ग्रंथों में मुख्य रूप से तीन अप्सराओं का उल्लेख मिलता है। उर्वशी नाम की अप्सरा भगवान श्रीकृष्ण के मित्र अर्जुन को अपनी ओर आकर्षित करने में नाकाम रही थी। रंभा, मेनका, उर्वशी ने अनेक सिद्ध पुरुषों को अपने रूप-रंग से मोहित कर तप भंग किया। अलग-अलग मान्यताओं में अप्सराओं की संख्या 108 से लेकर 1008 तक बताई गई है। लेकिन ये अमर नहीं थीं इसलिए इनकी मृत्यु हो गई।
अथर्ववेद और यजुर्वेद के अनुसार अप्सराएं पानी में रहती थीं। इस तरह का विवरण हमारे पौराणिक कहानियों में मिलता है कि उन्हें मनुष्यों को छोड़कर नदियों और जल-तटों पर जाने के लिए कहा गया जाता था।
शतपथ ब्राह्मण में (11/5/1/4) में अप्सराओं को तालाबों मे पक्षियों के रूप में तैरने वाली चित्रित किया गया है। इस्लाम धर्म में भी स्वर्ग में इनकी स्थिति मानी जाती है। फारसी का ‘हूरी’ शब्द अरबी ‘हवरा’ के साथ संबंद्ध बताया गया है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।