रघुकुल के अंतिम राजा थे अग्निवर्ण

भगवान श्रीराम की संपूर्ण कथा रामायण में है। रामायण के रचियता महर्षि वाल्मीकि हैं। रामायण में सात काण्ड हैं। जोकि क्रमश: बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्य काण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुंदर काण्ड, लंका काण्ड और उत्तर काण्ड हैं।

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उत्तर काण्ड में ‘अयोध्या में रामराज्य’, ‘सीता को वनवास’, ‘लव-कुश जन्म’, ‘राम के द्वारा अश्वमेघ यज्ञ’, ‘लव- कुश से राम सेना का युद्ध’, ‘अयोध्या में लव-कुश का रामायण गायन’, ‘राम का लव-कुश और सीता से मिलना’, ‘सीता का धरती में समाना’, ‘राम द्वारा लक्ष्मण का त्याग’, ‘राम के द्वारा जलसमाधि’ लेने तक का विस्तार से विवरण है।

वाल्मीकि रामायण के उत्तर काण्ड के सर्ग 107 से उल्लेख मिलता है कि लव और कुश श्रीराम और माता सीता के जुड़वा पु्त्र थे। अयोध्या से निर्वासन के बाद सीताजी वाल्मीकि आश्रम में ही रहीं जहां इन दोनों दिव्य बालकों का जन्म और लालन-पालन हुआ था।

कहते हैं जब श्रीराम वानप्रस्थ आश्रम में जाने का निश्चय कर लिया तब उन्होंने अपने अनुज भरत का राज्याभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने। तब दक्षिण कोसल प्रदेश में कुश और उत्तर कोसल राज्य के लिए लव का अभिषेक किया गया था।

अग्निवर्ण थे अंतिम राजा

संस्कृत के महान कवि कालिदास जी ने अपने काव्य ग्रंथ रघुवंशन के 19 सर्गों में रघु के कुल में उत्पन्न 20 राजाओं का 21 प्रकार के छन्दों का प्रयोग करते हुए वर्णन किया है। इसमें दिलीप, रघु, दशरथ, राम, कुश और अतिथि का विशेष वर्णन किया गया है। वे सभी समाज में आदर्श स्थापित करने में सफल हुए।

‘रघुवंश’ के अनुसार रघु कुल में अतिथि के बाद 20 रघुवंशी राजाओं की कथा है। इस वंश का पतन उसके अंतिम राजा अग्निवर्ण के विलासिता की अति के कारण होता है।

 
 
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