औषधि स्नान का महत्व भारतीय चिकित्सकीय ग्रंथों में मिलता है। प्राचीन आयुर्वेदशास्त्री इस बात की महत्ता को भली-भांति जानते थे। यही कारण है कि वह राजवंश से जुड़े सभी लोगों को इस तरह की स्नान की सलाह देते थे। औषधि स्नान ज्योतिष में भी महत्वपूर्ण माना गया है। यदि कोई व्यक्ति बुधकृत पीड़ा से पीड़ित है, और यदि वह औषधि स्नान करे तो बुध का अशुभ प्रभाव दूर हो जाता है।
औषधि स्नान के लिए स्नान सामग्री: मोती भस्म, चावल, गोरोचन, पिप्परा मूल, स्वर्ण, शहद, जायफल, सूखा हुआ गाय का गोबर, मूंग की दाल, सफेद सरसों, हरड़, आंवला, कांसे का तुश या फिर चूर्ण, मल्लव, नई पटसन की रस्सी आदि।
ऐसे करें स्नान
- औषिधि स्नान किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से आरंभ करें।
- स्नान की सामग्री देशी दवा बेचने वाले दुकानदार या फिर आयुर्वेद सामग्री विक्रेता के पास मिल जाएगी।
- पहले इन सभी सामग्री को कूट-पीस कर चूर्ण बना लें।
- बुधवार को स्नान करना है तो मंगलवार को पूरी तैयारी कर पानी में भिगोकर रख दें।
- बुधवार की सुबह जब आप स्नान करें उस समय तय सामग्री को कपड़े से छान लें। और नहाने के जल में मिला लें।
- ऐसा लगातार आप एक माह तक प्रत्येक बुधवार के दिन ही करें।
- इसके बाद संकल्प स्वरूप 7,11,21 या फिर 45 स्नान करें।
- आप चाहें तो माह में एक बार बुधवार के दिन भी स्नान कर सकते हैं।
- यदि आप इस विधि से लगातार हर बुधवार स्नान करते हैं तो बुधकृत पीड़ा जल्द समाप्त हो जाती है।
- इस तरह स्नान करने से चर्म रोग नहीं होता। साथ ही दिन भर शरीर में ताजगी बनी रहती है।