हिंदू देवी मां सरस्वती, भारत ही नहीं जापान में भी रहती हैं। फर्क इतना सा है कि यहां उनका नाम मां सरस्वती न होकर
‘बेंजाइटन’ है। दरअसल बेंजाइटन जापानी बौद्ध देवी है, जिनका स्वरूप हिंदू देवी मां सरस्वती से मिलता है।
6वी7वीं शताब्दी से जापान में बेंजाइटन देवी की पूजा शुरू हुई जो वर्तमान में भी जारी है। बेंजाइटन देवी विशाल कमल के फूल पर विराजित रहती हैं। उनके हाथ में जापान की परंपरागत वीणा जिसे ‘वीवा'( वीणा जैसा ही वाद्य यंत्र) मौजूद रहता है। हिंदू देवी सरस्वती संगीत और बुद्धि की देवी हैं, तो जापानियों की बेंजाइटन देवी जल, समय, शब्द, भाषण, वाक्पटुता, संगीत और ज्ञान की देवी हैं।
बौद्ध धर्म सदियों पहले भारत में ही अवतरित हुआ था और जल्द ही जापान और चीन का मुख्य धर्म बन गया। ऋग्वेद के अनुसार माता सरस्वती, ब्रह्माजी की पुत्री हैं। जिनसे बाद में उन्होंने विवाह किया था। देवी सरस्वती का वहान हंस है। और वह सफेद कमल पुष्प पर विराजित रहती हैं।
वहीं, बेंजाइटन (जापानी सरस्वती देवी) देवी की मूर्तियों में समीप सर्प और ड्रेगन मौजूद बताया गया है। बेंजाइटन की पूजा जापानी शिंतो धर्म के लोग करते हैं। शिंतो धर्म को ही ‘कामी’ कहते हैं। उनका मानना है कि देवी बेंजाइटन ने ही इस प्रकृति, जीव और ब्रह्मांड की उत्पत्ति की है।
जापान में देवी बेंजाइटन की तीन प्रसिद्ध मंदिर मौजूद हैं। जहां देवी बेंजाइटन की पूजा होती है। यहां श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शनार्थ के लिए आते हैं। हिरोशिमा प्रांत में ‘इत्सुकुशुमा मंदिर’, कानागावा प्रांत में ‘इनोशिमा मंदिर’ और शिंगा प्रांत में ‘होगोन-जी मंदिर’ देवी बेंजाइटन की प्रमुख मंदिर हैं।
जापान में ज्ञान की देवी बेंजाइटन के अलावा देवताओं के राजा इंद्र जापान में ‘ताइशाकुतेन’ के नाम से जाने जाते है। संसार को रचने वाले ब्रह्मा जी को जापानी लोग ‘बांटेन’ के नाम से पूजते हैं। इसके अलावा वरुण देव को ‘सुइतेन’ और वायु देव को ‘फुनजीन’ कहा जाता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
‘बेंजाइटन’ है। दरअसल बेंजाइटन जापानी बौद्ध देवी है, जिनका स्वरूप हिंदू देवी मां सरस्वती से मिलता है।