दुनिया में ना जाने कितने ही लोग है जो दुखी रहते हैं कोई अपने घर से दुखी है कोई अपने ऑफिस से कोई अपने काम से कोई अपने पति से तो कोई अपनी पत्नी से. दुःख सबके जीवन में आता है और सभी दुःख से जल्द से जल्द बाहर निकलने के बारे में सोचते हैं लेकिन दुःख इतनी आसानी से किसी का पीछा नहीं छोड़ता है. यह बात हम सभी बहुत अच्छे से जानते हैं कि दुःख कभी भी किसी का भी पीछा नहीं छोड़ता है और दुःख जब आता है तो साथ में निम्न प्रकार कि मुसीबतों को लेकर आता है. ऐसे में दुःख से छुटकारा पाने के लिए लोग लाखो जतन करते हैं पूजा पाठ करते हैं लेकिन फिर भी छुटकारा नहीं मिल पता है.
ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसा उपाय जिससे आपको दुखों से हमेशा के लिए छुट्टी मिल जाएगी. जी हाँ, आज हम आपको वो उपाय बातएंगे कि आप सुनकर भगवान का धन्यवाद करेंगे. दरअसल अगर आप दुःख से छुटकारा पाना चाहते हैं तो श्रीकृष्ण अष्टक श्री परमहंस ब्रह्मानन्द द्वारा रचित बहुत ही सुन्दर पाठ है जिन्हे व्यक्ति निरंतर पढ़ता है तो उसके सारे दुखों का नाश होता है तो आइए जानें श्रीकृष्ण अष्टक का पढ़ें सम्पूर्ण श्लोक..
श्रीकृष्ण अष्टक…
चतुर्मुखादि-संस्तुं समस्तसात्वतानुतम्।
हलायुधादि-संयुतं नमामि राधिकाधिपम्॥1॥
बकादि-दैत्यकालकं स-गोप-गोपिपालकम्।
मनोहरासितालकं नमामि राधिकाधिपम्॥2॥
सुरेन्द्रगर्वभंजनं विरंचि-मोह-भंजनम्।
व्रजांगनानुरंजनं नमामि राधिकाधिपम्॥3॥
मयूरपिच्छमण्डनं गजेन्द्र-दन्त-खण्डनम्।
नृशंसकंशदण्डनं नमामि राधिकाधिपम्॥4॥
प्रसन्नविप्रदारकं सुदामधामकारकम्।
सुरद्रुमापहारकं नमामि राधिकाधिपम्॥5॥
धनंजयाजयावहं महाचमूक्षयावहम्।
पितामहव्यथापहं नमामि राधिकाधिपम्॥6॥
मुनीन्द्रशापकारणं यदुप्रजापहारणम्।
धराभरावतारणं नमामि राधिकाधिपम्॥7॥
सुवृक्षमूलशायिनं मृगारिमोक्षदायिनम्।
स्वकीयधाममायिनं नमामि राधिकाधिपम्॥8॥
इदं समाहितो हितं वराष्टकं सदा मुदा।
जपंजनो जनुर्जरादितो द्रुतं प्रमुच्यते॥9॥