नहाय खाय के साथ छठ पूजा का चार दिवसीय पर्व शुरू हो गया है। रविवार की सुबह नहाने के बाद लौकी चना व रोटी का प्रसाद उपवासी महिलाएं व परिवार के अन्य सदस्य ग्रहण करेंगे। छठ पूजा के गीत घरों में गाए जाने लगे हैं। शनिवार को बुद्धि विहार में तालाब की सफाई की गई। नगर निगम के कर्मचारियों की सहायता से पूर्वाचल के परिवारों ने तालाब व पार्क की सफाई की। रामगंगा नदी स्थित विवेकानंद चट्टा पुल पर भी घाट तैयार कराने के लिए पूर्वाचल कल्याण समिति जुट गई है। गाजेबाजे के साथ छठ पूजन करने के लिए उपवासी महिलाएं परिवार के साथ इसी घाट पर डूबते व उगते सूरज को अर्घ्य देने आती हैं। छठ पूजा के व्रत के लिए नए कपड़े, दो से तीन बड़ी बास की टोकरी, सूप, पानी वाला नारियल, गन्ना, लोटा, लाल सिंदूर, धूप, दीपक, केला, सेब, सिघाड़ा, नाशपाती, मूली, आम के पत्ते, शकरगंदी, नीबू, शहद, पान, मिठाई, सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम और चंदन।
चल रही है विशेष तैयारिया जिन घरों में शादी हुई है और बच्चे का जन्म हुआ है तो उन घरों में छठ पूजा की विशेष तैयारी की जा रही हैं। 14 नवंबर का दिन परना का होता है। परना के दिन शुभ कार्य कर सकते हैं। शादी के बाद बेटी की विदाई, जन्म संस्कार, गृह प्रवेश, कर सकते हैं। 13 नवंबर को डूबते को फल, गन्ना, पकवान समेत रखकर पानी में खड़े होकर उपवासी महिलाएं जल से अर्घ्य देंगी। 14 नवंबर को उगते सूरज को गाय के दूध से अर्घ्य देंगी। इसी के बाद ही गाय के दूध से बनी नए गुड़ की चाय से व्रत खोलेंगी। जन्म संस्कार कर सकते हैं। सनातन धर्म का सबसे कठिन पर्व
सनातन धर्म का सबसे कठिन पर्व छठ पूजा होता है। नए वस्त्र का प्रयोग, श्रृंगार, नाक से सिर की माग तक सिंदूर भरती हैं और पति व बच्चों की दीर्घायु के लिए 48 घटे का निर्जल व्रत रखती हैं। परिवार के लोगों का पूरा सहयोग उपवासी महिलाओं को मिलता है।
चार दिवसीय छठ पूजा के आयोजन
11 नवंबर को नहाय खाय की रस्म। 12 नवंबर को खरना की रस्म। इस दिन रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद बाटा जाएगा। 13 नवंबर को डूबते सूरज को उपवासी महिलाएं अर्घ्य देंगी। 14 नवंबर को उगते सूरज को गाय के दूध से अर्घ्य देंगी। लंबी उम्र के लिए रखा जाता है व्रत
अनीता तिवारी ने बताया कि नहाय खाय के साथ इस पर्व का शुभारंभ होता है। पति व बच्चों की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखते हैं। पूर्वाचल जन कल्याण समिति के एचपी राय का कहना है कि तालाब तैयार कराया गया है, इसी तालाब में खड़े होकर महिलाएं डूबते व उगते सूरज को अर्घ्य देंगी। अशोक नागपाल का कहना है कि छठ पूजा सनातन धर्म में सबसे बड़ा पर्व है। 48 घटे का निर्जल उपवास कठिन तपस्या से कम नहीं है। विनय तिवारी का कहना है कि छठ पूजा बहुत ही शुद्धता का पर्व है। छठ का भोजन भी मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जा जाता है। निधि ने बताया कि छठ मईया हर साल आए और खुशी-खुशी जाए। हमारे परिवारों को भी स्वस्थ रखे। यही मागते हैं। भूपेश कुमार ने बताया कि छठ पूजा के लिए विशेष तैयारी की जाती है। शनिवार से नहाय खाय के साथ पर्व शुरू होगा।