लोगों की आस्था बढ़ने के पीछे की वजह के बारे में कहा जाता है कि जब 1965 का युद्ध हुआ था, तब सबसे पहले जोधपुर को टारगेट बनाया गया था और मां चामुंडा ने चील के रूप में प्रकट होकर जोधपुरवासियों की जान बचाई थी और किसी भी तरह का कोई नुकसान जोधपुर को नहीं होने दिया था. तब से जोधपुर वासियों में मां चामुंडा के प्रति अटूट विश्वास है.
मंदिर के पुजारी घनश्याम पुरोहित ने कहा कि मां चामुंडा का परचम इतना लहराया है कि आज जोधपुर से बाहर शायद ही कोई ऐसा गांव या शहर ऐसा होगा, जहां मां चामुंडा को लोग नहीं मानते और जानते हों. इसी वजह से देश और विदेश की जानी मानी हस्तियां जोधपुर में आकर अपने मांगलिक कार्य पूरे करते है.
लोगों की आस्था बढ़ने के पीछे की वजह के बारे में कहा जाता है कि जब 1965 का युद्ध हुआ था, तब सबसे पहले जोधपुर को टारगेट बनाया गया था और मां चामुंडा ने चील के रूप में प्रकट होकर जोधपुरवासियों की जान बचाई थी और किसी भी तरह का कोई नुकसान जोधपुर को नहीं होने दिया था. तब से जोधपुर वासियों में मां चामुंडा के प्रति अटूट विश्वास है.
मंदिर के पुजारी घनश्याम पुरोहित ने कहा कि मां चामुंडा का परचम इतना लहराया है कि आज जोधपुर से बाहर शायद ही कोई ऐसा गांव या शहर ऐसा होगा, जहां मां चामुंडा को लोग नहीं मानते और जानते हों. इसी वजह से देश और विदेश की जानी मानी हस्तियां जोधपुर में आकर अपने मांगलिक कार्य पूरे करते है.