वेद के अध्ययन पर विचार करें, तो राहु का अधिदेवता काल और प्रति अधिदेवता सर्प है, जबकि केतु का अधिदेवता चित्रगुप्त एवं प्रति के अधिदेवता ब्रह्माजी है. राहु का दायां भाग काल एवं बायां भाग सर्प है. राहु एवं केतु सर्प ही है और सर्प के मुंह में जहर ही होता है.
जब प्रसन्न हो राहु-केतु: इससे यह सिद्ध होता है कि राहु-केतु जिस पर प्रसन्न है, उसको संसार के सारे सुख सहज में दिला देते है एवं इसके विपरीत राहु-केतु (सर्प) क्रोधित हो जाए,तो मृत्यु या मृत्यु समान कष्ट देते हैं. सृष्टि का विधान रहा है, जिसने भी जन्म लिया है, वह मृत्यु को प्राप्त होगा. मनुष्य भी उसी सृष्टि की रचना में है, अत: मृत्यु तो अवश्यभांवी है. उसे कोई नहीं टाल सकता है. परंतु मृत्यु तुल्य कष्ट ज्यादा दुखकारी है.
क्या कहते हैं शास्त्र:- शास्त्रानुसार जो जातक अपने माता-पिता एवं पितरो की सच्चे मनसे सेवा करते है, उन्हें कालसर्प योग अनुकूल प्रभाव देता है. जो उन्हें दुख देता है, कालसर्प योग उन्हें कष्ट अवश्य देता है. कालसर्प के कष्ट को दूर करने के लिए कालसर्प की शांति अवश्य करना चाहिए एवं शिव आराधना करना चाहिए.
प्रेम विवाह में सफल होने के लिए: यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो : शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ति या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें. इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें. तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रसाद चढाएं और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें.
परेशान करना बंद कर देंगे राहु, अगर आप करेंगे शिव की आराधना…
राहु ग्रह भगवान शिवशंकर के परम आराधक है. अत: जब राहु ग्रह परेशान कर रहा हो तो जातक को शिवजी की आराधना करनी चाहिए. निम्न 9 उपायों को करने से राहु ग्रह की शांति बहुत ही कम समय में हो जाती है. आइए जानें…
1- अगर आपके जन्मांक में राहु, चंद्र, सूर्य को दूषित कर रहा है तो जातक को भगवान शिवशंकर की सच्चे मन से आराधना करना चाहिए.
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2- सोमवार को व्रत करने से भी भगवान शिवशंकर प्रसन्न होते हैं. अतः सोमवार को शिव आराधना पूजन व्रत करने के पश्चात, शाम को भगवान शिवशंकर को दीपक लगाने के पश्चात् सफेद भोजन खीर, मावे की मिठाई, दूध से बने पदार्थ ग्रहण करना चाहिए.
3- भगवान भोले शंकर भक्त की पवित्र श्रद्धा पूर्ण आराधना से तत्काल प्रसन्न होने वाले देव है.
4- अतः बगैर ढोंग दिखावे के निर्मल हृदय से सच्ची आस्था के साथ भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए.
5- राहु महादशा में सूर्य, चंद्र तथा मंगल का अंतर काफी कष्टकारी होता है, अतः समयावधि में नित्य प्रतिदिन भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाकर दुग्धाभिषेक करना चाहिए.
6- जातक को शिव साहित्य जैसे- शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए.
7- ॐ नमः शिवाय मंत्र का नाम जाप लगातार करते रहना चाहिए.
8- राहु की महादशा अथवा अंतर प्रत्यंतर काफी कष्टकारी हों तब भगवान शिव का अभिषेक करवाना चाहिए.
9- भगवान शिव की प्रभु श्रीराम के प्रति परम आस्था है, अतः राम नाम का स्मरण भी राहु के संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक