भगवान कृष्णा के पहले हनुमान उठा चुके हैं गोवर्धन पर्वत

आप सभी ने गोवर्धन पर्वत के बारे में सुना ही होगा. इस पर्वत को गिरिराज महाराज के नाम से जाना जाता है और इन्हें साक्षात श्री कृष्ण का स्वरूप माना जाता है. आप सभी को बता दें कि इसका कारण यह है कि भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि को गोर्वधन रूप में अपनी पूजा किए जाने की बात कही थी. वहीं आप सभी जानते ही होंगे कि यह घटना उस समय हुई थी जब इंद्र के कोप से गोकुल वासियों को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था. ऐसे में बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि इस घटना के पीछ हनुमान जी का भी हाथ था.

जी दरअसल, त्रेतायुग में जब भगवान राम ने अवतार लिया था उस समय लंका पार करने के लिए जब भगवान राम के नेतृत्व में वानर सेना समुद्र पर सेतु का निर्माण कर रही थी उस समय सेतु निर्माण के लिए बहुत से पत्थरों की जरूरत हुई. कहते हैं हनुमान जी हिमलय पर गए और एक पर्वत वहां से उठाकर समुद्र की ओर चल पड़े और मार्ग में पता चला कि सेतु का निर्माण हो गया है तो हनुमान जी ने पर्वत को वहीं जमीन पर रख दिया.

आप सभी को बता दें कि उस समय पर्वत ने कहा कि मैं न तो राम के काम आया और न अपने स्थान पर रह सका उस समय पर्वत की मनोदशा समझकर हनुमान जी ने कहा कि द्वापर में जब भगवान राम श्री कृष्ण के रूप में अवतार लेंगे उस समय वह आपको अपनी उंगली पर उठाकर देवता के रूप में प्रतिष्ठित करेंगे. ऐसे में ही हनुमान जी ने गोवर्धन को देवता बनाने की लीला रची जो सफल हुई.

भगवान श्रीराम ने ना चाहते हुए भी लक्ष्मण को दिया था मृत्युदंड
क्या आप जानते हैं कहाँ से मिली थी श्री कृष्णा को बांसुरी?

Check Also

जानें, कैसे पड़ा बाबा बर्फानी की गुफा का नाम अमरनाथ?

हिंदुओं के लिए पवित्र तीर्थस्थल अमरनाथ धाम (Amarnath Yatra 2024) है। धार्मिक मान्यता है कि …