आज जरूर करें माँ कात्यायनी का ध्यान और उनका यह स्तोत्र पाठ

आप सभी जानते ही होंगे कि नवरात्र पवित्र और शुद्धता से जुड़ा पर्व है और इस दौरान देवी मां के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. कहते हैं इस दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता के लिए व्रत रखे जाते हैं और बहुत सारे लोग नवरात्रि के दौरान कपड़े धोने, शेविंग करने, बाल कटाने और पलंग या खाट पर सोने से भी परहेज करते हैं. ऐसे में विष्णु पुराण के मुताबिक, नवरात्रि में व्रत करते समय दिन में सोने, तम्बाकू चबाने और स्त्री के साथ सहवास करने से व्रत खंडित हो जाता है.

जी हाँ, वहीं शादी का उद्देश्य संतति के द्वारा वंश को आगे चलाना माना गया है, यही वजह है कि नवरात्रि के दौरान विवाह नहीं करना चाहिए. अब आज हम आपको बताते हैं ऐसी ही कई अहम मान्याताएं. कहते हैं नवरात्र में देवी की उपासना से जुड़ी बहुत सारी मान्यताएं हैं, ऐसी ही मान्यताओं में से एक है घर में जौ रोपना. जी हाँ, जौ रोपने और कलश स्थापना के साथ ही मां की नौ दिन की पूजा शुरू होती है और कहा जाता है जब सृष्टि की शुरुआत हुई थी, तो पहली फसल जौ ही थी. ऐसे में वसंत ऋतु की पहली फसल जौ ही होती है, जिसे हम मां को अर्पित करते हैं. आप सभी को बता दें कि नवरात्रि में जौ रौपे जाने के पीछे यह वजह बताई जाती है कि ऐसा करने से देवी मां का आशीर्वाद मिलता है और पूरा घर वर्ष भर धनधान्य से भरा रहता है.

ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में रोपे गए जौ यदि तेजी से बढ़ते हैं, तो घर में सुख-समृद्धि तेजी से बढ़ती है. इसी के साथ कुवारी कन्याएं माता के समान ही पवित्र और पूजनीय मानी जाती हैं. कहा जाता है हिंदू धर्म में दो वर्ष से लेकर दस वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती हैं और यही वजह है कि नवरात्रि पूजन में इसी उम्र की कन्याओं का विधिवत पूजन कर भोजन करवाते हैं.

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