7 वर्ष का आयु में संन्यास लेने वाले शंकराचार्य ने मात्र 2 वर्ष की आयु में सारे वेदों, उपनिषद, रामायण, महाभारत को कंठस्थ कर लिया था. शंकराचार्य ऐसे संन्यासी थे जिन्होंने गृहस्थ जीवन त्यागने के बाद भी अपनी मां का अंतिम संस्कार किया.
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