आप सभी को बता दें कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा के मानस पुत्र प्रजापति दक्ष की पुत्री सती ने अपने पिता के विरूद्ध भगवान शंकर से विवाह किया था. कहते हैं माता सती और भगवान शंकर के विवाह उपरांत राजा दक्ष ने एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन उन्होंने अपने दामाद और पुत्री को यज्ञ में निमंत्रण नहीं भेजा. ऐसे में सती अपने पिता के यज्ञ में पहुंच गई लेकिन दक्ष ने पुत्री के आने पर उपेक्षा का भाव प्रकट किया और शिव के विषय में सती के सामने ही अपमानजनक बातें कही. ऐसे में सती के लिए अपने पति के विषय में अपमानजनक बातें सुनना हृदय विदारक और घोर अपमानजनक था और यह सब वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और उन्होंने वहीं यज्ञ कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए. कहते हैं जब भगवान शिव को माता सती के प्र’ण त्यागने का ज्ञात हुआ तो उन्होंने क्रोध में आकर वीरभद्र को दक्ष का यज्ञ ध्वंस करने को भेजा और उसने दक्ष का सिर काट दिया.
कहा जाता है भगवान शिव दुखी होकर सती के शरीर को अपने कंधों पर धारण कर तांडव नृत्य करने लगे और पृथ्वी समेत तीनों लोकों को व्याकुल देख कर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र द्वारा माता सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. कहा जाता है देवी सती के शरीर के अंग और धारण किए हुए आभूषण जहां-जहां गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई और देवी भागवत में 108 शक्तिपीठों का वर्णन आता है, तो देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का और देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों की चर्चा की गई है. आप सभी को बता दें कि वर्तमान में भी 51 शक्तिपीठ ही पाए जाते हैं और कुछ शक्तिपीठ पाकिस्तान, बांगलादेश और श्रीलंका में भी स्थित हैंसंसार की प्रत्येक महिला को देवी सती की इस कथा से शिक्षा लेनी चाहिए की विवाह उपरांत इन बातों का ध्यान रखे.
1: बिना निमंत्रण किसी के घर नहीं जाना चाहिए यहां तक की माता-पिता का घर भी शादी के उपरांत पराया हो जाता है इस कारण जब तक वह ना बुलाये ना जाए.
2: कहते हैं शादी के बाद पति की बात माननी चाहिए, उनकी अवहेलना नहीं करनी चाहिए और यदि आपको लगे की पति जो कह रहे हैं वो ठीक नहीं है तो उनसे विचार-विमर्श करें उसके बाद दोनों मिल कर ही निर्णय लें.
3: कहा जाता है संसार के प्रत्येक जन को चाहिए की किसी भी महिला के समक्ष उसके पति की निंदा या चुगली न करें.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।