अभिनंदन नाथ मंदिर – अयोध्या भगवान अभिनंद नाथ जी की जन्मस्थली है । यह मंदिर अयोध्या रेलवे स्टेशन से लगभग 500 मी रायगंज मोहल्ले में स्थित है।
अशर्फी भवन– अशर्फी भवन रेलवे स्टेशन से ढाई किमी दूरी पर स्थित है। इस भवन के निमार्ण के समय खुदाई के समय कुछ सोने के सिक्के प्राप्त हुए थे जिसकारण इसका नाम अशर्फी भवन हो गया। इस मंदिर भगवान श्री लक्ष्मी नारायण मूर्तियां स्थापित है। इस मंदिर में चैत्र रामनवमी, श्रावण झूला उत्सव तथा कार्तिक माह परिक्रमा तथा 16 दिसम्बर से 14 जनवरी के मध्य यहां भव्य स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस मंदिर में आगंतुकों के लिए विशाल धर्मशाला तथा भक्तों को आवास उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी उपलब्ध है।
बडा भक्त माल– यह मंदिर राम घाट अयोध्या के निकट स्थित है। मंदिर का मुख्य द्वारा काफी विशालकाय है। मंदिर के गर्भग्रह में सीताराम की मूर्तियां तथा गर्भग्रह के दाहिने हिस्से में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। मंदिर में दर्शन का समय- प्रात: 5 बजे से दिन में 12 बजे तक तथा शाम को 4 बजे से 8 बजे तक।
दिगम्बर जैन मंदिर- यह मंदिर अवध के नवाब के कोषाध्यक्ष केसरी सिंह जी के द्वारा सन् 1781 में बनवाया गया था। त्रेतायुग कालीन इस मंदिर को बाद में चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था। दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव जो आदिनाथ के रूप में भी जाने जाते है की मूर्ति मंदिर के गर्भग्रह में स्थापित है।
चरण पादुका– बहुत प्राचीनतम यह स्थान फैजाबाद स्थित गुप्तार घाट के पास स्थित है। लोक मान्यता के अनुसार भगवान राम ये पद चिन्ह उनकी जल समाधि लेने के पूर्व के है। तथा यही से उन्होनें हनुमान जी को लोक कल्याण हेतु वापस भेज दिया था। वर्तमान में यह स्थान बहुत अच्छी हालत में नही है।
छोटी देवकाली– यह मंदिर अयोध्या में नया घाट मार्ग पर गली के अन्दर स्थित है। मान्यता के अनुसार जब भगवान श्री राम विवाह के उपरान्त जब सीता जी के साथ अयोध्या आये तो वे अपने साथ गिरिजा देवी की मूर्ति लाये थे। जिसे अयोध्या के राजा दशरथ ने भव्य मंदिर निमार्ण के साथ इस मूर्ति को मंदिर में स्थापित करवाया। वर्तमान में इस मंदिर में काली जी मूर्ति स्थापित है जिसे छोटी देवकाली के रूप में जाना जाता है।
दिव्य कला कुंज- यह मंदिर दिव्य काला जी महराज के द्वारा स्थापित किया गया था। अयोध्या के अन्य मंदिरों की भंाति इस मंदिर में भी भगवान सियाराम तथा लक्षमण की विग्रह गर्भग्रह में स्थापित है। रोज शाम को 7 बजे से शाम 9 बजे के मध्य रोज यहां भक्ति गीतों के मध्य राम चरित मानस का पाठ नियमिति रूप से किया जाता है। रामनवमी, राम विवाह तथा जानकी नवमी को भव्यता से यहां मनाया जाता है।
गुलाब बाडी– अवध के नवाब शुजाउद्दौला की समाधि स्थल है जो चारो ओर से गुलाब उद्यान से घिरा हुआ है पूरे परिसर में पहुँचने के लिए दो बडे फाटक तथा चाहरदीवारी से घिरा हुआ है।
गुरूद्वारा नजर बाग– श्री गुरूनानक देव ने अपने चार प्रमुख यात्रा की कि वे समय पर इस जगह का दौरा किया बाद में गुरू गोविंद सिंह ने अपने बचपन में पटना सहिब से आनंदपुर साहिब के लिए अपने रास्ते में यहा एक बाग में रूके थे। 1997 में इस जगह के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए यहां एक गुरूद्वारे की नींव रक्खी गई। जो अभी भी निमार्ण के तहत है। पहले इसके 13 मंजिले प्रस्तावित थी लेकिन अब इसे 7 मंजिलों के लिए सीमित कर दिया गया है।
हनुमत निवास– हनुमत निवास में सीता राम लक्षमण, तथा हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित है। रामनवमी, कार्तिक पूर्णिमा तथा परिक्रमा के समय यहां श्रद्वालुओं की संख्या काफी बढ जाती है।
लक्षमण किला – लक्षमण किला का निमार्ण मुबारक अली खान द्वारा निर्मित है तथा किला मुबारक के रूप में भी जाना जाता था। रसिक संप्रदाय के स्वामी युगलानन्द प्रारानजी महराज जी के निधन के बाद रीज राज्य के दीवान दीन बंधु जी ने यहां एक भव्य मंदिर का यहां निमार्ण कराया गया था। जो आज भी मौजूद है।
मणि पर्वत – मणि पर्वत विद्या कुण्ड के पास अयोध्या रेलवे स्टेशन से लगभग 1 किमी दूरी पर स्थित है। मान्यता के अनुसार हनुमान जी जब संजीवनी बूटी लेकर जा रहे थे तो उसमें एक टुकडा टूट कर यहां गिर गया जो मणि पर्वत के रूप में जाना जाता है। वर्तमान में इसकी उचाई लगभग 65 फीट है। अयोध्या में सावन मेले का आरम्भ यही से होता है। सावन झूला के दौरान यहां श्रद्वालुओं की काफी भीड होती है। मंदिर के गर्भ ग्रह में सीता राम तथा लक्षमण की मूर्तियां स्थापित है। एक अन्य मान्यता के अनुसार इसी स्थान पर भगवान बुद्ध ने 6 वर्षो तक इसी स्थल पर तप किया था।
मत गजेन्द्र – कनक भवन के उत्तर पूर्व में स्थित यह मंदिर विभीषण के पुत्र मतगजेन्द्र को समर्पित है। जानकी जीवन ट्रस्ट द्वारा इस मंदिर की देखभाल की जाती है। तथा अयोध्या के उत्तरी दरवाजे की सुरक्षा करता है।
नरसिंह दास जी की छावनी – महंत नरसिंह दास जी की छावनी मणि राम दास जी की छावनी के मार्ग पर अयोध्या रेलवे स्टेशन से मात्र डेढ किमी की दूरी पर स्थित है।
रघुनाथ जी की छावनी – रघुनाथ जी की छावनी अयोध्या में बडी छावनी के नाम से भी जानी जाती है। छावनी का मुख्य संत कभी छावनी परिसर को नही छोडता है। छावनी परिसर का मंदिर 8 बजे से 12 बजे तक तथा सायं 4 बजे से 8 बजे दर्शन के लिए खुला रहता है।
राम कथा संग्रहालय– राम कथा संग्रहालय तुलसी स्मारक भवन का निमार्ण भारत सरकार के द्वारा 1969 में गोस्वामी तुलसीदास जी की स्मृति में कराया गया था। यह सरकार के संस्कृति विभाग के अन्र्तगत आता है। इस संग्रहालय में राम की कहानी से संबधित प्राचीन वस्तुओं के संरक्षण तुलसी भवन में प्रार्थना बैठक तथा धार्मिक प्रवचन के लिए प्रयोग किया जाता है। यहां प्रत्येक दिन राम लीला का मंचन किया जाता है। श्रावण मास के सातवें दिन पर हर साल तुलसी जयंती का कार्यक्रम मनाया जाता है।
राम मंथ मण्डप – राम मंथ मण्डप अयोध्या में माझा इलाके में स्थित है उत्तर प्रदेश में केवल यह एक धार्मिक स्थल है जहां पर कोई भी मूर्ति स्थापित नही है। लेकिन यह 24 घंटे भक्तों के द्वारा भक्ति गीत गाये जाते है।
रविदास मंदिर – यह मंदिर अयोध्या के रामकोट इलाके में स्थित है। संत रविदास जी का यह मंदिर प्रात 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक भक्तों के लिए खोला जाता है। यहां रविदास जयंती तथा अंबेडकर जयंती भव्यता से मनाई जाती है।
सरयू मंदिर– पावन सलिला सरयू का यह मंदिर सरयू भवन के अंदर अयोध्या के नया घाट पर स्थित है।
श्रावण कुंज – श्रावण कुंज अयोध्या के नया घाट पर स्थित है। मान्यता के अनुसार गोस्वामी तुलसी दास जी ने यही रामचरित मानस के बालकंाड की रचना की थी।
सियाराम किला – सियाराम किला अयोध्या के झुनकी घाट पर स्थित है। यहां राम, सीता तथा लक्षमण जी का भव्य मंदिर स्थित है। मंदिर प्रात: 7 बजे से 11-30 तथा सायं काल 7 बजे से 9 बजे तक दर्शन हेतु खुला रहता है। यहां चैत्र रामनवमी, श्रावण झूला, कार्तिक परिक्रमा तथा अन्नकूट भव्यता से मनाया जाता है।
सूर्य कुण्ड – भगवान सूर्य का यह मंदिर फैजाबाद मुख्यालय से 6 किमी अंबेडकर नगर रोड पर स्थित दर्शन नगर के पास स्थित है। यहां का कुण्ड लगभग 20 फीट गहरा और चारों ओर से पक्के घाटों से घिरा हुआ है। सूर्य कुण्ड का निमार्ण अयोध्या के सूर्य वंशी शासकों के द्वारा सूर्य देव की उपासना हेतु बनवाया गया था।
त्रेता के ठाकुर – मान्यता के अनुसार इस स्थान पर भगवान श्रीराम के द्वारा अश्वमेध यज्ञ किया गया था। कुल्लू के राजा के द्वारा 300 वर्ष पूर्व यहां एक मंदिर का निमार्ण कराया गया। जिसका अहिल्या बाई होल्कर के द्वारा इसका पुर्ननिमार्ण कराया गया। मंदिर में राम लक्ष्मण,भरत, शत्रुघ्न, सीता, जय विजय, वशिष्ठ, सुग्रीव तथा हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित है। मंदिर साल में एक बार कार्तिक एकादशी के दिन दर्शन के लिए खोला जाता है।
वशिष्ठ कुण्ड – वशिष्ठ कुण्ड अयोध्या स्टेशन से 2 किमी दूर राम जन्म भूमि के रास्ते में स्थित है। मंदिर में गुरू वशिष्ठ, राम, लक्ष्मण,भरत तथा शत्रुघ्न की मूर्तियां स्थापित है।
विद्या कुण्ड – विद्या कुण्ड मणि पर्वत के निकट स्थित है। मान्यता के अनुसार यहां गुरू वशिष्ठ ने भगवान राम तथा चारों भाईयों को दीक्षा दी थी। यहां 15 दिनों तक सावन झूलनोत्सव मनाया जाता है।
अयोध्या नाथ दरबार – यह मंदिर अयोध्या के रामकोट क्षेत्र में स्थित है। इसे दशरथ गद्दी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में राम,लक्ष्मण तथा सीता के विग्रह स्थापित है। राम नवमी, राम विवाह आदि को भव्य रूप से इस मंदिर में मनाया जाता है।
बडे हनुमान जी – मणि दास जी की छावनी मार्ग जानकी घाट पर यह मंदिर स्थित है। हनुमान लला का यह मंदिर प्रवेश द्वारा पर हनुमान जी भव्य एवं विशाल मूर्ति के रूप में अपनी पहचान अयोध्या में स्थापित किये है।
बहु बेगम का मकबरा – अवध के नवाब शुजा उद् दौला की पत्नी बहु बेगम का मकबरा है। यह इमारत इनके मुख्य सलाहकार दराब अली के द्वारा तत्कालीन तीन लाख रूपये में बनवाई गयी थी। वर्तमान में यह इमारत भारतीय पुरातत्व विभाग के द्वारा संरक्षित है मोहर्रम के दौरान यहां धार्मिक सभाओं का आयोजन किया जाता है।
चार धाम मंदिर – यह मंदिर अयोध्या में राम दास जी की छावनी के मार्ग पर स्थित है। विशाल द्वार वाले इस मंदिर में रामेश्वरम, बद्रीनाथ तथा जगन्नाथ पुरी प्रतिकृति निहित है।
दन्तघावन कुण्ड – यह कुंड राम घाट तथा तुलसी स्मारक भवन के मध्य रायगंज मोहल्ले में स्थित है। वैष्णव संप्रदाय के द्वारा प्रबन्ध व्यवस्था देखी जा रही है। भगवान श्रीराम अपने तीनों भाईयों के साथ यही पर दातून किया करते थे। जिससे यह दंतधावन कुण्ड के नाम से विख्यात हुआ।
दिव्य शीश महल – मंदिर अयोध्या में राम कोट कनक भवन के पास स्थित है। भगवान श्रीराम, सीता तथा लक्ष्मण के विग्रह स्थापित यह मंदिर कांच के द्वारा निर्मित है। तथा भक्तों को अपनी सुंदरता से आर्कषित करता है। रामनवमी, जन्माष्टमी तथा सावन झूला यहां बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
गुप्तार घाट– घाट अयोध्या से 10 किमी दूरी पर तथा फैजाबाद में रेलवे स्टेशन से 5 किमी दूर स्थित है। मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम अपने भाईयों के साथ इसी घाट पर जल समाधि ली थी। 19 वीं राजा दर्शन सिंह के द्वारा यहां पर पक्के घाटों का निमार्ण कराया गया। राम जानकी मंदिर, नरसिंह भगवान का मंदिर, हनुमान मंदिर,
कारसेवक पुरम – कारसेवक पुरम अयोध्या जानकी घाट पर स्थित है। यहां प्रस्तावित राम जन्म भूमि मंदिर का मॉडल रखा गया है। यह मॉडल 21 फीट की लंबाई 11 फीट की चौडा और 212 खंभे के साथ 9 फीट ऊचां है। प्रस्तावित राम मंदिर की सबसे विशेषता यह है कि इसमें सीमेंट का उपयोग नही होगा। यह एक स्कूल, धर्माथ होम्योपैथिक अस्पताल, तथा एक गोशाला भी इस परिसर में स्थित है।
महर्षि महेश योगी आश्रम – आश्रम पंचकोसी परिक्रमा मार्ग अयोध्या में स्थित है। महर्षि वेद विज्ञान विद्या पीठ ट्रस्ट द्वारा इसे संचालित किया जाता है। वैदिक संस्कृति को बढाने हेतु यहां संस्कृत कर कक्षाऐं चलाई जाती है। आश्रम में विशेष रूप से गुरू पूर्णिमा मनाया जाता है।
मणि राम दास जी की छावनी – मणि राम दास जी की छावनी अयोध्या में वाल्मीकी भवन, के सामने स्थित है। भवन के गर्भ ग्रह में सीता,राम के साथ ही पूरे राम दरबार के विग्रह स्थापित है। मंदिर प्रात: 6 बजे से 12 तथा सांय 3 से 8 बजे तक खुलता है।
मिलेट्री मंदिर – फैजाबाद शहर के सेना के छावनी परिसर में स्थित यह मंदिर डोगरा रेजिमेंट द्वारा बनाया गया है। मंदिर बहुत ही आधुनिक स्थापत्य शैली से बना हुआ मंदिर बहुत ही भव्यता तथा सौन्र्दय पूर्ण है। मंदिर सैन्य तथा सामान्य नागरिकों के दर्शन हेतु खुला रहता है।
निषाद वंश पौराणिक मंदिर – यह मंदिर अयोध्या में प्रचीनतम मंदिर में एक तथा अयोध्या के टेढी बाजार चौराहे के निकट स्थित है। मंदिर प्रात 8 से 12 बजे तथा शाम को 4 से 8 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।
राज द्वार – यह अयोध्या के प्रमुख स्थलों में से एक हनुमान गढी के निकट स्थित है। भगवान श्री राम का यह मंदिर समकालीन वास्तुकला का उत्कृष्ठ उदाहरण है।
राम कथा पार्क – नगर पालिका के प्रबन्ध के आने वाला यह पार्क अयोध्या में बंधा तिराहा, नया घाट पर स्थित है। सरकार के द्वारा साल में 5 दिन यहां पर रामायण मेले का आयोजन किया जाता है।
राम वैदेही मंदिर – भगवान श्री राम सीता का यह मंदिर परिक्रमा मार्ग, नया घाट, अयोध्या पर स्थित है। इस स्थान पर खदेश्वरी महराज 28 वर्ष एक पैर पर खडे होकर तपस्या की थी।
रूप कला कुंज – भगवान श्रीराम तथा सीता का यह मंदिर नया घाट अयोध्या में राम की पैडी परिक्षेत्र में स्थित है। सावन झूला, राम विवाह तथा जानकी नवमी आदि विशेष अवसरों को काफी धूमधाम से मनाया जाता है।