जब हनुमान ने लगाई लंका में आग

हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार हनुमान जी को वीरता, भक्ति और शक्ति का परिचायक माना जाता है। हनुमान जी अत्याधिक बलशाली वीरता के प्रतीक माने जाते हे। कलयुग के देवता हनुमानजी की भक्ति और पूजा से ही नहीं, बल्कि उनके जीवन की कुछ बातें ग्रहण करने से भी हमारी परेशानियां दूर हो सकती हैं।धर्म शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। कहा जाता है की जिस समय हनुमान जी माता सीता को खोजते हुए लंका पहुंचे थे,तब रावण के आदेशानुसार हनुमान की पूछ में आग लगा दी थी।

भगवान हनुमान ने पूरी लंका को आग लगा दी थी, किन्तु हनुमान ने अशोक वाटिका को छोड़ दिया था क्यों की? वहा पर माता सीता को रावण ने बंदी बना दिया था। साथ ही हनुमान ने विभीषण का महल भी नहीं जलाया क्यों की ? उनके महल पर श्री राम का नाम लिखा था।

जिस समय हनुमान ने लंका को जलाया था तब आग में तप कर लंका किसी स्वर्ग से कम नहीं लग रही थी मानो ऐसा लग रहा हो जैसे किसी आभूषण पर हिरा लगा दिया हो. लंका में सभी भयभीत थे जिस कारण रावण यह भूल गया की उसके सिंघासन के निचे शनि देव को उल्टा लटकाया है और रावण ने अपना सिंघासन उल्टा कर दिया जिस कारण शनि देव अपनीअवस्था में आ गए और उनके देखने मात्र से ही सोने की लंका देखते ही देखते कोयले के समान हो गई।

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