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मंदिर जहां हुआ शिव-पार्वती जी का विवाह: रुद्रप्रयाग

‘त्रियुगी नारायण’ एक पवित्र जगह है, माना जाता है कि सतयुग में जब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था तब यह ‘हिमवत’ की राजधानी था. इस जगह पर आज भी हर साल देश भर से लोग संतान प्राप्ति के लिए इकट्ठा होते हैं और हर साल सितंबर महीने में बावन द्वादशी के दिन यहां पर मेले का …

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जवानों के लिए आस्था का केंद्र है बनासकांठा के नाडेश्वरी माता का मंदिर

माता का मंदिर गुजरात के बनासकांठा के बॉर्डर पर बना है. यह मंदिर आम लोगों के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों के लिए भी आस्था और श्रद्धा का बहुत बड़ा धर्मस्थल बना हुआ है.

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बृहस्पति का क्या महत्व, ये इसके शुभ और अशुभ प्रभाव

बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है. पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून,धर्म,ज्ञान,मंत्र,ब्राह्मण और संस्कारों को नियंत्रित करता है. शरीर में पाचन तंत्र,मेदा और आयु की अवधि को निर्धारित करता है.पांच तत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति होने के कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है. महिलाओं के जीवन में विवाह की सम्पूर्ण …

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कौन हैं भगवान नृसिंह और क्या है इनकी महिमा

नृसिंह, विष्णु के पांचवे अवतार हैं. अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था. इनका प्राकट्य खम्बे से गोधूली वेला के समय हुआ था. भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं. इनकी उपासना करने से हर प्रकार के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है. हर प्रकार से मुकदमे, …

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मां सिद्धिदात्री का महत्व और पूजन विधि

नौवें स्वरूप में मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है, जो दरअसल देवी का पूर्ण स्वरूप है. मान्यता है कि केवल इस दिन मां की उपासना करने से सम्पूर्ण नवरात्रि की उपासना का फल मिलता है. यह पूजा नवमी तिथि पर की जाती है. महानवमी पर शक्ति पूजा भी की जाती है, जिसको करने से निश्चित रूप से विजय की …

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