शाकम्भरी को दुर्गा का अवतार माना जाता है। शाकंभरी माता के देशभर में तीन शक्तिपीठ है। माना जाता है कि इनमें से सबसे प्राचीन शक्तिपीठ राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर सांभर कस्बे में स्थित है। यहां स्थित मंदिर करीब 2500 साल पुराना बताया जाता है। वैसे तो शाकंभरी माता चौहान वंश की कुलदेवी है लेकिन, माता को अन्य कई धर्म और समाज …
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मां शाकंभरी को क्यों कहते हैं शताक्षी, जानिए राज
शत शत नेत्रों से बरसाकर नौ दिन तक अविरल अति जल। भूखे जीवों के हित दिए अमित तृण, अन्न, शाक शुचि फल।। ‘माता शताक्षी की तरह कोई दयालु हो ही नहीं सकता। अपने बच्चों का कष्ट देखकर वे नौ दिनों तक लगातार रोती ही रहीं।’ न शताक्षीसमा काचिद् दयालुर्भुवि देवता। दृष्ट्वारुदत् प्रजा स्तप्ता या नवाहं महेश्वरी।। (शिवपुराण, उ. सं. ५०।५२) …
Read More »यह है भीष्म पितामह की असली जीवन गाथा
भीष्म पितामह का असली नाम देवव्रत था। वे हस्तिनापुर के राजा शांतनु की पटरानी गंगा की कोख से उत्पन्न हुए थे। एक समय की बात है। राजा शांतनु शिकार खेलते-खेलते गंगा तट के पार चले गए। वहां से लौटते वक्त उनकी भेंट हरिदास केवट की पुत्री मत्स्यगंधा (सत्यवती) से हुई। मत्स्यगंधा बहुत ही रूपवान थी। उसे देखकर शांतनु उसके लावण्य पर मोहित हो …
Read More »क्या आपको पता है कैसे हुई भीष्म पितामह की पराजय…
महाभारत युद्ध के दसवें दिन भी भीष्म पितामह ने पांडवों की सेना में भयंकर मारकाट मचाई। यह देखकर युधिष्ठिर ने अर्जुन से भीष्म पितामह को रोकने के लिए कहा। अर्जुन शिखंडी को आगे करके भीष्म से युद्ध करने पहुंचे। शिखंडी को देखकर भीष्म ने अर्जुन पर बाण नहीं चलाए और अर्जुन अपने तीखे बाणों से भीष्म पितामह को बींधने लगे। इस प्रकार बाणों से छलनी …
Read More »भगवान शिव के 13 ऐसे दिव्य धाम जो भारत में नहीं हैं, पढ़ें विशेष जानकारी…
विदेशों में हैं शिव के अलौकिक 13 धाम, पढ़ें विशेष जानकारी… देश की धरती से दूर रहने के बाद भी संस्कार नहीं छुटते, परंपरा और रीति रिवाज नहीं छुटते। क्योंकि धर्म से जुड़ी अनुभूतियां हमारी रगों में रची बसी होती है। शिवरात्रि के आगमन के साथ ही भारत के मंदिरों में शिव के जयकारे लगने आरंभ हो जाते हैं वहीं …
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Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।