विदेशों में हैं शिव के अलौकिक 13 धाम, पढ़ें विशेष जानकारी…
देश की धरती से दूर रहने के बाद भी संस्कार नहीं छुटते, परंपरा और रीति रिवाज नहीं छुटते। क्योंकि धर्म से जुड़ी अनुभूतियां हमारी रगों में रची बसी होती है।
शिवरात्रि के आगमन के साथ ही भारत के मंदिरों में शिव के जयकारे लगने आरंभ हो जाते हैं वहीं विदेशों में भी शिव के कुछ ऐसे धाम हैं जहां शिव पूजन का उत्साह चरम पर रहता है। आइए जानते हैं भारत से बाहर कहां है शिव के खूबसूरत मंदिर…।
यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं 13 खास शिव मंदिरों के बारे में अनूठी जानकारी :-
1. शिवा हिन्दू मंदिर-जुईदोस्त, एम्स्टर्डम : यह मंदिर लगभग 4,000 वर्ग मीटर को क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मंदिर के दरवाजे भक्तों के लिए जून 2011 को खोले गए थे। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान गणेश, देवी दुर्गा, भगवान हनुमान की भी पूजा की जाती है। यहां पर भगवान शिव पंचमुखी शिवलिंग के रूप में है।
2. अरुल्मिगु श्रीराजा कलिअम्मन मंदिर- जोहोर बरु, मलेशिया : कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1922 के आस-पास किया गया था। यह मंदिर जोहोर बरु के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। जिस भूमि पर यह मंदिर बना हुआ है, वह भूमि जोहोर बरु के सुल्तान द्वारा भेंट के रूप में भारतीयों को प्रदान की गई थी। कुछ समय पहले तक यह मंदिर बहुत ही छोटा था, लेकिन आज यह एक भव्य मंदिर बन चुका है। मंदिर के गर्भ गृह में लगभग 3,00,000 मोतियों को दीवार पर चिपकाकर सजावट की गई है।
3. शिवा टैम्पल, ज़्यूरिख़, स्विट्ज़रलैंड : यह एक छोटा लेकिन सुंदर शिव मंदिर है। यहां के गर्भ गृह में शिवलिंग के पीछे भगवान शिव की नटराज स्वरूप में और देवी पार्वती की शक्ति से रूप में मूर्तियां स्थित है। इस मंदिर में भगवान शिव से जुड़े हुए सभी त्योहार बहुत ही धूम-धाम से मनाए जाते हैं।
4. शिवा-विष्णु मंदिर- मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया : भगवान शिव और विष्णु को समर्पित इस मंदिर का निर्माण लगभग 1987 के आस-पास किया गया था। मंदिर के उद्घाटन कांचीपुरम और श्रीलंका से दस पुजारियों ने पूजा करके किया था। इस मंदिर की वास्तुकला हिन्दू और ऑस्ट्रेलियाई परंपराओं का अच्छा उदाहरण है। मंदिर परिसर के अंदर भगवान शिव और विष्णु के साथ-साथ अन्य हिंदू देवी-देवताओं की भी पूजा-अर्चना की जाती है।
5. शिवा मंदिर- ऑकलैंड, न्यूजीलैंड : न्यूजीलैंड के इस मंदिर की स्थापना का मुख्य कारण लोगों के बीच हिंदू धर्म के प्रति आस्था और विश्वार बढ़ाना था। इस मंदिर के निर्माण के बाद 2004 में यह मंदिर आम भक्तों के लिए खोला गया था। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी शिवेंद्र महाराज और यज्ञ बाबा के मार्गदर्शन में हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किया गया था। इस मंदिर में भगवान शिव नवदेश्वर शिवलिंग के रूप में है।
6. शिवा विष्णु मंदिर- लिवेरमोरे, कैलिफोर्निया : यह मंदिर इस क्षेत्र के हिंदू मंदिरों में से सबसे बड़ा मंदिर कहा जाता है। वास्तुकला की दृष्टि से यह मंदिर उत्तर भारत और दक्षिण भारत की कला का सुंदर मिश्रण है। मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान गणेश, देवी दुर्गा, भगवान अय्यप्पा, देवी लक्ष्मी आदि की भी पूजा की जाती है। मंदिर की अधिकांश मूर्तियों 1985 में तमिलनाडु सरकार द्वारा दान की गई थी।
7. कैलाश मानसरोवर : कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है अतः कैलाश चीन में आता है। मानसरोवर झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाता है। यह साक्षात शिव का निवास माना जाता है। यहां से जुड़ी कई पौराणिक मान्यताएं हैं।
8. पशुपतिनाथ मंदिर : नेपाल में बागमती नदी के किनारे काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर स्थित है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व हेरिटेज श्रेणी में आता है। यहां पर भगवान शिव के दर्शनों के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। पशुपतिनाथ का मतलब होता है संसार के समस्त जीवों के भगवान। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण लगभग 11वीं सदी में किया गया था। दीमक की वजह से मंदिर को बहुत नुकसान हुआ, जिसकी कारण लगभग 17वीं सदी में इसका पुनर्निर्माण किया गया। मंदिर में भगवान शिव की एक चार मुंह वाली मूर्ति है। इस मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति तक पहुंचने के चार दरवाजे बने हुए हैं। वे चारों दरवाजे चांदी के हैं। यह मंदिर हिंदू और नेपाली वास्तुकला का एक अच्छा मिश्रण है।
9. रामलिंगेश्वर मंदिर : यह मंदिर मलेशिया की राजधानी क्वालालंपूर
में है। सन 2012 में मलेशिया सरकार ने मंदिर और आस पास का क्षेत्र मंदिर का प्रबंधन करने वाली ट्रस्ट के हवाले कर दिया। अब यह ट्रस्ट ही मंदिर का प्रबंधन और देखभाल करता है।
में है। सन 2012 में मलेशिया सरकार ने मंदिर और आस पास का क्षेत्र मंदिर का प्रबंधन करने वाली ट्रस्ट के हवाले कर दिया। अब यह ट्रस्ट ही मंदिर का प्रबंधन और देखभाल करता है।
10. प्रम्बानन मंदिर : हिंदू संस्कृति और देवी-देवताओं को समर्पित एक बहुत सुंदर और प्राचीन मंदिर इंडोनेशिया के जावा नाम की जगह पर है। 10वीं शताब्दी में बना यह मंदिर प्रम्बानन मंदिर के नाम से जाना जाता है। प्रम्बानन मंदिर शहर से लगभग 17 कि.मी. की दूरी पर है। इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर स्थित प्रमबनन मंदिर नौवीं शताब्दी का एक भव्य मंदिर है। यह भारत से बाहर बने सबसे विशाल शिव मंदिरों में से एक है। यूनेस्को ने इस मंदिर को वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया है।
11. सागर शिव मंदिर : इस शिव मंदिर का निर्माण वर्ष 2007 में किया गया है लेकिन आज यह मंदिर मॉरिशस में रहने वाले हिन्दुओं का एक पवित्र धार्मिक स्थल है। इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण इस मंदिर प्रांगण में बनी भगवान शिव की 108 फीट ऊंची कांसे की प्रतिमा है।
12. मुन्नेश्वरम मंदिर : यह मंदिर श्रीलंका के एक गांव मुन्नेश्वर में बना है। यहां शिव के साथ-साथ देवी काली का भी मंदिर है। इस मंदिर का स्थापत्य भव्य और मनमोहक है। दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली में निर्मित इस मंदिर में साल भर श्रीलंका और भारत से लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर के इतिहास को रामायण काल से जोड़ा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रावण का वध करने के बाद भगवान राम ने इसी जगह पर भगवान शिव की आराधना की थी। इस मंदिर परिसर में पांच मंदिर हैं, जिनमें से सबसे बड़ा और सुंदर मंदिर भगवान शिव का ही है। कहा जाता है कि पुर्तगालियों ने दो बार इस मंदिर पर हमला कर नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी।
13. कटास राज मंदिर : पाकिस्तान में भी एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। यह पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के चकवाल जिले में है और कटास राज मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण छठी शताब्दी से नवीं शताब्दी के मध्य करवाया गया था। कटासराज मंदिर पाकिस्तान के चकवाल गांव से लगभग 40 कि.मी. की दूरी पर कटस में एक पहाड़ी पर है। कहा जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल (त्रेतायुग) में भी था। इस मंदिर से जुड़ी पांडवों की कई कथाएं प्रसिद्ध हैं।
मान्यताओं के अनुसार, कटासराज मंदिर का कटाक्ष कुंड भगवान शिव के आंसुओं से बना है। इस कुंड के निर्माण के पीछे एक कथा है। कहा जाता है कि जब देवी सती की मृत्यु हो गई, तब भगवान शिव उन के दुःख में इतना रोए कि उनके आंसुओं से दो कुंड बन गए। जिसमें से एक कुंड राजस्थान के पुष्कर नामक तीर्थ पर है और दूसरा यहां कटासराज मंदिर में।