दुनियाभर में भोलेनाथ के कई भक्त हैं जो उन्हें खूब मानते हैं. ऐसे में भोलेबाबा को भोलेनाथ इस वजह से कहते हैं क्योंकि वह सभी की मनोकामना जल्द पूरी कर देते हैं. ऐसे में आप सभी यह भी जानते ही होंगे कि पौराणिक कथा में भी शिव भगवान के कई चमत्कारों का जिक्र है. वहीं उसमे बताया गया है कि …
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ये पांच तरह के यज्ञ पालन करने से मिलता है सबसे बड़ा पुण्य और लाभ
वेदानुसार यज्ञ पांच प्रकार के होते हैं-1. ब्रह्मयज्ञ, 2. देवयज्ञ, 3. पितृयज्ञ, 4. वैश्वदेव यज्ञ, 5. अतिथि यज्ञ। उक्त पांच यज्ञों को पुराणों और अन्य ग्रंथों में विस्तार दिया गया है। वेदज्ञ सार को पकड़ते हैं विस्तार को नहीं।।।ॐ विश्वानि देव सवितुर्दुरितानि परासुव। यद्भद्रं तन्नासुव ।।-यजु भावार्थ : हे ईश्वर, हमारे सारे दुर्गुणों को दूर कर दो और जो अच्छे गुण, कर्म …
Read More »जानिए कैसे हुई बेशकीमती रत्नों की उत्पत्ति, पढ़ें पौराणिक कथा
आचार्य वराहमिहिर ने भी पुराण परंपरा का आश्रय ले आज से 1500 वर्ष पूर्व अपनी वृहतसंहिता में रत्नाध्याय का वर्णन करते हुए रत्नोत्पत्ति के कारणों का वर्णन किया है, परंतु उन्होंने साथ ही ‘केचिद्भुव: स्वभावाद्वैचित्र्यं प्राहुरूपलानाम् (पृथ्वी के स्वभाव ही से कुछ लोगों के मत से रत्नों की विचित्रता हुई है) कहकर अपने ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं ली। रत्नानि बलाद्दैत्याद्दैधिचितोन्ये …
Read More »श्रीमद्भगवद्गीता, जीवन को बनाती है धन्य, पढ़ें 10 खास बातें..
गीता कहती है कि जीवन रोने के लिए नहीं, भाग जाने के लिए नहीं है, हंसने और खेलने के लिए हैं। यह हमें संकटों से, हिम्मत से लड़ने की प्रेरणा देती है। गीता मानव मात्र को जीवन में प्रतिक्षण आने वाले छोटे-बड़े संग्रामों के सामने हिम्मत से खड़े रहने की शक्ति देती है। श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है।हम हर काम …
Read More »चिंतामन गणेश मंदिर में तिल चतुर्थी से मिल सकता है भक्तों को लड्डू प्रसाद, समिति ने शुरू की तैयारी
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर की तरह अब प्रसिद्ध चिंतामन गणेश मंदिर में भी भक्तों को लड्डू प्रसाद मिलने लगेगा। मंदिर प्रशासन 24 जनवरी को तिल चतुर्थी से मंदिर में लड्डू प्रसाद विक्रय की योजना बना रहा है। गौरतलब है कि करीब 3 माह पहले चिंतामन गणेश मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में इस संबंध में निर्णय हुआ था। मंदिर प्रबंधक अभिषेक …
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Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।