आप सभी को बता दें कि श्राद्ध पक्ष में यूं तो शुभ कार्य वर्जित होते हैं जैसे नई वस्तुएं खरीदना, नए परिधान पहनना आदि लेकिन कहा जाता है इन 16 कड़वे दिनों में अष्टमी का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है और श्राद्ध पक्ष में आने वाली अष्टमी को लक्ष्मी जी का वरदान प्राप्त है. कहते हैं यह …
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जानिए, प्रभु श्रीराम के जन्म की पौराणिक कथा के बारे में…
रामायण और रामचरित मानस हमारे पवित्र ग्रंथ हैं। तुलसीदास जी ने श्री राम को ईश्वर मान कर रामचरितमानस की रचना की है किन्तु आदिकवि वाल्मीकि ने अपने रामायण में श्री राम को मनुष्य ही माना है। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस को राम के राज्यभिषेक के बाद समाप्त कर दिया है वहीं आदिकवि श्री वाल्मीकि ने अपने रामायण में कथा को आगे श्री राम के महाप्रयाण तक वर्णित …
Read More »कितने विलक्षण शुभ चिह्न थे भगवान राम के पैर में…
श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने मुख्य रूप से श्रीराम के पैर के 5 ही चिह्न का वर्णन किया है- ध्वज, वज्र, अंकुश, कमल और ऊर्ध्व रेखा। किंतु अन्य पवित्र ग्रंथों को मिलाकर देखा जाए तो 48 पवित्र चिह्न मिलते हैं। दक्षिण पैर में 24 और वाम पैर में 24। दिलचस्प तथ्य यह भी है कि जो चिह्न श्रीराम के दक्षिण पैर …
Read More »हनुमानजी की पूजा से शनि के प्रकोप से क्यों बचते हैं, पढ़ें ये रोचक कथा
एक बार महावीर हनुमान श्री राम के किसी कार्य में व्यस्त थे। उस जगह से शनिदेव जी गुजर रहे थे। रास्ते में उन्हें हनुमानजी दिखाई पड़े। अपने स्वभाव की वजह से शनिदेव जी को शरारत सूझी और वे उस रामकार्य में विघ्न डालने हनुमान जी के पास पंहुच गए। हनुमानजी ने शनि देव को चेतावनी दी और उन्हें ऐसा करने से रोका …
Read More »त्रेतायुग में ली गई प्रतिज्ञा को भगवान राम ने द्वापरयुग में की पूरी
है नीको मेरो देवता कोसलपति राम। सुभग सरोरुह लोचन, सुठि सुंदर स्याम।। सिय-समेत सोहत सदा छबि अमित अनंग। भुज बिसाल सर धनु धरे, कटि चारु निषंग।। बलि-पूजा चाहत नहीं, चाहत एक प्रीति। सुमिरत ही मानै भलो, पावन सब रीति।। सेतु-बंधन के लिए वानरदल द्वारा पर्वत-खण्डों का लाना वाराहपुराण के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने समुद्र पार कर लंका जाने …
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Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।