मनुष्य प्राकृतिक प्राणी है। शरीर से मानव है, भीतर से कहीं पशु भी है। शरीर उसको कर्म करने तथा पिछले कर्मों के फल भोगने के लिए मिलता है। फलों की इसी छाया में उसका अज्ञान-अवतार होता है। वह अपने चारों ओर अज्ञान का वातावरण ही देखता है। उसी में अपने ऋणानुबन्ध चुकाता है तथा वातावरण में अपने मन की …
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विवाद के चार सौ छियासी वर्ष
अयोध्या ने बीते चार सौ छियासी वर्षो से केवल राजनीति का वो दौर देखा है जिसमें अपने ही अपनों के दुशमन बनते रहे। इस दौरान किसी को कुछ मिला हो या न मिला हो पर अयोध्या को केवल अशांति का वातावरण ही मिला है। अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर था अथवा मस्जिद यह तो अब सर्वोच्च न्यायालय के …
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