भगवान श्रीराम पर भारत में 5 प्रमुख रामायण ज्यादा प्रचलित है, जिसकी चर्चा अक्सर की जाती है। जानिए इन पांच के नाम। 1.वाल्मीकि कृत रामायण : रामायण को वाल्मीकि ने श्रीराम के काल में ही लिखा था इसीलिए इस ग्रंथ को सबसे प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है। यह मूल संस्कृत में लिखा गया ग्रंथ है। 2. श्रीरामचरित मानस : श्रीरामचरित मानस को गोस्वामी तुलसीदासजी ने …
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सर्वपितृ अमावस्या: जानिए पिंडदान और तर्पण का अर्थ, नियम एवं प्रकार के बारे में….
पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं तथा तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। तर्पण करना ही पिंडदान करना है। श्राद्ध पक्ष का माहात्म्य उत्तर व उत्तर-पूर्व भारत में ज्यादा है। तमिलनाडु में आदि अमावसाई, केरल में करिकडा वावुबली और महाराष्ट्र …
Read More »सर्वपितृ अमावस्या : भूल कर भी न करे ये दस काम नहीं तो पितृ हो सकतें है नाराज
विधिवत रूप से श्राद्ध करना और शास्त्र सम्मत नियम से ही श्राद्ध करना चाहिए अन्यथा पितृ नाराज हो जाते हैं। गलत तरीके से किए गए श्राद्ध और गलत कर्म से पितृ नाराज हो जाते हैं। आओ जानते हैं कि कौन से कार्य से पितृ नाराज हो जाते हैं। 1.श्राद्ध क्रिया : श्राद्ध तर्पण में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल …
Read More »सर्वपितृ अमावस्या है पितृ ऋण उतारने का दिन, पढ़ें ये महत्वपूर्ण खबर
‘पितृपक्ष’ एक प्रकार से पितरों का सामूहिक मेला होता है। इस पक्ष में सभी पितर पृथ्वीलोक में रहने वाले अपने-अपने सगे-संबंधियों के यहां बिना आह्वान किए भी पहुंचते हैं तथा अपने सगे-संबंधियों द्वारा प्रदान किए प्रसाद से तृप्त होकर उन्हें अनेकानेक शुभाशीर्वाद प्रदान करते हैं जिनके फलस्वरूप श्राद्धकर्ता अनेक सुखों को प्राप्त करते हैं। अत: श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों …
Read More »जीवन को सफल बना देगी भगवान शिव से जुड़ी ये रोचक बातें, एक बार जरूर पढ़ें
सावन माह को एक सप्ताह से अधिक समय बीत गया है और दो सावन सोमवार अब तक बीत चुके हैं। बता दें कि इस बार का सावन कुल 5 सोमवार का है। सावन का पवित्र माह भगवान शिव को पूर्णतः समर्पित रहता है। तो आइए जानते हैं भगवान शिव से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियों के बारे में। – भगवान शिव …
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Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।