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श्रीराम भक्त हनुमान है त्वरित प्रसन्न होने वाले देवता

कलयुग के देवता हनुमान जी अपने भक्तों पर तुरंत कृपा करते है। वह अपरिमित हैं जो किसी के वश में नहीं, लेकिन भक्ति में बंधे वह भक्त की मदद को तुरंत प्रकट होते हैं। हनुमानजी की श्रीराम के प्रति भक्ति अनुपम व अपार है। मुसीबत के समय हनुमान जी के नाम स्मरण से ही मार्ग की समस्त बाधाएं दूर हो …

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यहाँ भगवान जगन्नाथ को दिया जाता है “गॉर्ड ऑफ ऑनर”

 छत्तीसगढ़ के बस्तर में गोंचा महापर्व के दौरान भगवान जगन्नाथ को तुपकी के जरिए ‘गॉर्ड ऑफ ऑनर’ देने की अनोखी परंपरा है जो हर साल निभाई जाती है। यह परंपरा भारत ही नहीं, विश्व के लिए भी अनोखी है। जगन्नाथ की 22 मूर्तियों की एक साथ स्थापना, पूजन और उन सबकी एक साथ रथयात्रा निकाले जाने का उदाहरण भी पूरे …

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धर्मः मम – ३ (अंतिम भाग)

दिव्यवंशी पाण्डवों में स्वविवेक है, विचारशीलता है, सत्य विद्यमान है और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम है। स्वविवेक से ही धर्ममम का विस्तार होता है, इसकी गूढता सरलता में परिवर्तित होती है, इसके मर्म का ज्ञान होता है। बृहस्पति स्मृति में कहा गया है – केवलं शास्त्रमाश्रित्य न कर्तव्यो विनिर्णयः !युक्तिहीनविचारे तु धर्महानिः प्रजायते !!अर्थात् “केवल शास्त्र का आश्रय …

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जब कृष्ण ने अर्जुन को बताया क्यों है कर्ण मानदानी – दूसरी कथा

युद्ध का सत्रहवाँ दिन ख़त्म हो चुका था। आज के युद्ध में कौरव सेना के तीसरे सेनापति महारथी कर्ण की पराजय हो चुकी थी। अर्जुन को कर्ण पर विजय प्राप्त करने के लिए उसपर तब प्रहार करना पड़ा था जब वो धरती में धँसे अपने रथ का चक्र निकाल रहा था। इसी कारण युद्ध के पश्चात अर्जुन का मन अत्यंत …

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रामायण-40: च्यवन ऋषि का आगमन, लव-कुश का जन्म एवं लवणासुर वध

एक दिन जब श्रीराम अपने दरबार में बैठे थे तो यमुना तट निवासी कुछ ऋषि-महर्षि च्यवन जी के साथ दरबार में पधारे। कुशल क्षेम के पश्‍चात् उन्होंने बताया, “महाराज! इस समय हम बड़े दुःखी हैं। लवण नामक एक भयंकर राक्षस ने यमुना तट पर भयंकर उत्पात मचा रखा है। उसके अत्याचारों से त्राण पाने के लिये हम बड़े-बड़े राजाओं के …

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