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धर्मपालन के आदर्श प्रतिमान हैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम

रामचरित के प्रथम गायक आदिकवि वाल्मीकि ने राम को धर्म की प्रतिमूर्ति कहा है। उनके अनुसार- ‘रामो विग्रहवान धर्म:’ अर्थात राम धर्म का साक्षात श्रीविग्रह हैं। धर्म को मनीषियों ने विविध प्रकार से व्याख्यायित किया है। महाराज मनु के अनुसार- धृति, क्षमा, दमन (दुष्टों का दमन), अस्तेय (चोरी न करना), शुचिता, इन्द्रिय-निग्रह (समाजविरोधी, परपीड़नकारी इच्छाओं पर नियंत्रण), धी, विद्या, सत्यनिष्ठा और …

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