@shrawan
Active 9 years, 1 month ago
चेतना को परिष्कृत करके इस ऊंचाई तक पहुंचा देना कि जिसमें न तो किसी के प्रति अतिरिक्त राग है और न ही रंज, आसान नहीं है। बेहतर होगा कि रामनवमी के इस पावन पर्व पर हम सभी भगवान राम के केवल इसी बिंदु पर स्वयं की चेतना को परखकर देखें। महाकवि तुलसीदास ने जीवन के अस्सीवें साल में जब स्वयं को परखने का प्रयास किया, तो उन्हें अपने निष्कर्ष को इन श […] View