शुभ फल से तार देते हैं मंगल देव

भगवान श्री मंगलदेव सुख, शांति, समृद्धि के कारक हैं। भगवान मंगल देव जब प्रसन्न होते हैं तो वे धन, पति, पुत्र आदि से सभी को संपन्न कर देते हैं। भगवान मंगल भूमि के प्रदाता भी हैं। ज्योतिष शास्त्र में मंगल का विशेष महत्व है। यदि कुंडली में मंगल का स्थान 4 थे, 5 वें 7 वें या 12 वें आदि भाव में हो तो जातक मांगलिक होता है। ऐसे जातक को भगवान मंगल संपन्न बनाते हैं मगर उसे विवाह में देरी, नौकरी में देरी आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

मगर भगवान मंगल के प्रभाव यदि जन्मकुंडली में विपरीत हों तो जातक को बीमारी और कष्ट भी हो सकते हैं। ऐसे जातक को असाध्य रोग, रक्त विकार आदि भी हो सकते हैं। मंगल देव दान – उपवास, जप, हवन और उपासना प्रमुख है। मंगल के प्रभाव को सुखकारक बनाने के लिए व्रत का उपाय भी किया जाता है। यही नहीं मंगल के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए भात पूजन भी मध्यप्रदेश के उज्जैन में श्री मंगलनाथ मंदिर और श्री अंगारेश्वर मंदिर में भात पूजन भी किया जाता है।

मंगल के प्रभाव से धन – संपत्ति का वरदान, निरोगता, ऐश्वर्य, सौभाग्य, पुत्र आदि का वरदान प्रदान किया जाता है। मंगल की दशा में श्री हनुमानजी की आराधना भी बेहतर उपाय होती है। भगवान श्री हनुमान की उपासना मानसिक और वाचिकर तरह से करने से सभी पाप और महापाप नष्ट होते हैं। इससे यश और लाभ भी प्राप्त होता है। मंगल देव के नाम भूमिपुत्र, ऋणहर्ता, धनप्रदा, महाकाय, लोहित, भूमिपुत्र, अंगारक, यम, सर्वरोगहारक, वृष्टिकर्ता, पापहर्ता, स्थिरासन, महाकाय आदि हैं।

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