जब हुआ था महादेव और श्रीकृष्ण का युद्ध, जानिए किसकी हुई थी विजय

हिंदू धर्म में बहुत सी पौराणिक कहानियां और कथाएं हैं जिसमें देवताओं की महाशक्ति के बारे में बताया गया है. इन सभी में से कई गाथाएं आप सभी ने सुनी या पढ़ी होंगी लेकिन कुछ ऐसी भी है जो आप सभी ने कभी नहीं सुनी होंगी. इनमे से एक कथा ऐसी ही है महादेव और श्रीकृष्ण के युद्ध की, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. अगर आप भी इसके बारे में जानना चाहते हैं तो आइए जानते हैं.

कथा – एक समय एक दैत्य राज बाली था और इसके कई पुत्र था जिसमें सबसे बड़े पुत्र का नाम बाणासुर था बाणासुर बचपन से ही शक्तिशाली था और उसे सबसे शक्तिशाली बनने की महत्वकांक्षा थी. इसलिए उसने महादेव को अपना आराध्य मान लिया था घोर तपस्या कर उसने महादेव शंकर भगवान को प्रसन्न कर लिया शंकर भगवान ने भी इसे सहस्त्रबाहु और महाशक्ति का वरदान दिया. बाणासुर ने भी मौके का फायदा उठाकर उनसे मांगा कि उसे जब भी जरूरत पड़े तो स्वयं उसकी मदद करें शंकर भगवान भी मान गए.

इसके बाद तो बाणासुर को सबसे शक्तिशाली मानने लगा तब शंकर भगवान बाणासुर को चेतावनी दी की वह इन शक्तियों का घमंड ना करें और जब उसके माल का ध्वज गिर जाएगा तब उसकी मृत्यु नजदीक होगी. तब बाणासुर की एक पुत्री उषा ने अपने सपने में एक सुंदर पुरुष को देखा और उस पर मोहित हो गई. उसने यह बात अपनी सखी चित्रलेखा बताया तो वह नींद में ही उस पुरुष को उठाकर महल में ले आई तब उन्हें पता चला कि वह पुरुष श्री कृष्ण का पौत्र अनिरुद्ध था.

अनिरुद्ध जी उषा पर पर मोहित हो गया और दोनों ने उसी समय विवाह कर लिया जब यह बात बाणासुर को पता चला तो उसने अनिरुद्ध और उषा को बंदी बना लिया इस बात का पता चलने पर भगवान श्री कृष्ण ने भी बाणासुर के महल पर हमला कर दिया. श्रीकृष्ण ने सबसे पहले बाणासुर के महल पर लगे ध्वज को अपने वान से तोड़ दिया बाणासुर की सेना श्रीकृष्ण की नारायणी सेना के सामने नहीं टिक पा रही थी. तब बाणासुरभी युद्ध में कूद पड़ा भगवान शंकर के वरदान के कारण बाणासुर महा शक्तिमान बन गया था लेकिन भगवान श्री हरि विष्णु के साक्षात रूप श्री कृष्ण से उसका कोई मुकाबला नहीं था.

श्रीकृष्ण का हर बार बाणासुर से कहीं ज्यादा शक्तिशाली था बाणासुर को अपनी हार दिखने लगी तब उसने शंकर भगवान को युद्ध में लड़ने के लिए बुलाया इस तरह भगवान शंकर और श्रीकृष्ण ने महा युद्ध शुरू हुआ जो कई दिनों तक चला तब श्री कृष्ण ने शंकर भगवान से कहा कि हे महादेव अगर वह अधर्मी बाणासुर की तरफ से लड़ेंगे तो वह धर्म की स्थापना नहीं कर पाएंगे. इसका कोई रास्ता बताएं तब भगवान शंकर ने श्रीकृष्ण से जुरुमनास्त्र चलाने को कहा इस अस्त्र से भगवान शंकर निद्रा में चले गए तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से बाणासुर की चार भुजाएं छोड़कर बाकी सारे काट दिए तब तक शंकर भगवान नींद से जाग गए और श्रीकृष्ण बाणासुर का वध करने से रोक दिया.

तो इस तरह से महादेव और श्रीकृष्ण की महाशक्ति का टकराव पूरी सृष्टि ने देखा सब देवता यह सब देख रहे थे और उन्हें इस युद्ध से पूरी सृष्टि का विनाश नजर आ रहा था इस टकराव की ऊर्जा ने तो तीनों लोकों को हिलाकर रख दिया था. तब बाणासुर का घमंड भी टूट गया और उसको अपनी भूल महसूस हुई और उसने युद्ध रोकने का आह्वान किया और श्रीकृष्ण और महादेव से माफी मांगी उसके बाद बाणासुर ने अनिरुद्ध और उषा को भी छोड़ दिया इस तरह सारे देवताओं ने दो महाशक्तियों का टकराव देखा और सबने यह महसूस किया कि जीन शक्तियों से यह सृष्टि बनी है उसे मिटाने में महाशक्ति को बस कुछ ही क्षण लगेंगे.

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