बहुत सुंदर राजकुमारी थी कैकेयी की दासी मंथरा, एक शरबत ने छीन लिया था रूप

रामायण के बारे में बात की जाए तो इसके बारे में जानना, पढ़ना सभी को पसंद है. रामायण में पात्र है कुबड़ी मंथरा का जिसके बारे में कई ऐसी कहानियाँ हैं जो आपने नहीं सुनी होंगी.  जी हाँ, मंथरा को कुछ कथा वाचक रामकथा की मुख्य खलनायिका तक करार देते हैं क्योंकि उनके कारण सीता और राम को वनवास भोगना पड़ा. लेकिन, कैकेयी की दासी मंथरा के बारे में आप बहुत सी बातें नहीं जानते होंगे जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

मंथरा दासी नहीं, कैकेयी की बहन थी? – जी दरअसल दोनों बहनें थीं और बहनें होते हुए अच्छी सहेलियां भी. इस कारण कैकेयी अयोध्या नरेश दशरथ से विवाह के बाद मंथरा को अपने साथ ले आई थीं कि दोनों एक दूसरे के बगैर रह नहीं सकती थीं.

मंथरा राजकुमारी रेखा थी? – जी दरअसल कैकेयी अस्ल में, कैकेय राज्य के राजा अश्वपति की बेटी थीं और यह कैकेय राज्य वर्तमान समय के काकेशियस या कश्मीर या अफगानिस्तान और पंजाब के बीच का एक स्थान बताया गया है. कहा जाता है राजा अश्वपति का एक भाई वृहदश्रव था और उसकी बेटी थी राजकुमारी रेखा. वहीं रेखा को विशालाक्षी यानी बड़े नेत्रों वाली और बेहद बुद्धिशाली बताया गया है और इसी के साथ ही, कि उसे अपने रूप और बुद्धि का अहंकार भी था. वहीं एक कथा में बताया गया है ​कि राजकुमारी रेखा अपने रूप को हमेशा बरकरार रखने की लालसा में किसी अनुचित चीज़ का सेवन कर लिया था, जिससे उसका शरीर झुक गया और वह कुरूप हो गई. जी दरअसल कुरूप होने का एक कारण बताया जाता है कि वह एक शरबत के सेवन के कारण त्रिदोष का शिकार हुई थी और उसका शरीर तीन जगहों से तिरछा हो गया था. उस दौरान इस व्याधि की शिकार होने के कारण राजकुमारी रेखा को कुबड़ी मंथरा कहा जाने लगा. जी हाँ और मंथरा का अर्थ मंथर यानी खराब बुद्धि के कारण पड़ा क्योंकि शारीरिक व्याधि के बाद वह मानसिक रूप से भी खीझ की शिकार हो गई थी और उसका व्यवहार जगहंसाई के कारण अक्सर बुरा हो जाता था.

कैकेयी ने साथ नहीं छोड़ा – आप सभी को बता दें कि राजकुमारी रेखा के कुरूप हो जाने के बाद भी कैकेयी का जुड़ाव उससे बना रहा इसलिए वह विवाह के बाद उसे अपने साथ अयोध्या ले गई. वहीं अयोध्या में भी उसकी कुरूपता के कारण उसका परिहास किया जाता था और उसे कैकेयी की दासी ही समझा जाता था. इसी कारण गुस्से में मंथरा ने अयोध्या के अमंगल के लिए राम के वनवास के लिए कैकेयी को भड़काया था. वैसे इस तरह की अनेकों कहानियां मिलती है जो मंथरा से जुडी हैं और किसी एक पर यकीन कर पाना मुश्किल है.

जानें गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व
जानें गुप्त नवरात्रि की पौराणिक कथा, नवरात्रि में विशेष कामनाओं की होती है सिद्धि

Check Also

जानिए शनिवार का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

आज चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि रात्रि 10 बजकर 44 मिनट तक …