शिव के इस धाम में है कुछ ऐसा, दर्शन के बाद नहीं आते लोग दोबारा

kailash2-1441012685शिवजी को समर्पित कई तीर्थों का मार्ग अत्यंत कठिन होता है। खासतौर से तिब्बत में स्थित कैलाश मानसरोवर की यात्रा बहुत कठिन मानी जाती है। इसी प्रकार शिव का एक और धाम अत्यंत कठिन मार्ग के लिए प्रसिद्ध है। कहते हैं कि जो एक बार इसके दर्शन कर लेता है वह दूसरी बार यहां आने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। 

इस तीर्थ का नाम किन्नर कैलाश है। यह हिमाचल प्रदेश में स्थित है। श्रावण में इस धाम की यात्रा शुरू होती है। यह बहुत कठिन यात्रा मानी जाती है। यहां भक्त भोलेनाथ को नमन करते हैं। इस जगह को भगवान शिव का शीतकालीन प्रवास का स्थल माना जाता है। 
किन्नर कैलाश बहुत सुंदर स्थान है। यहां प्रकृति की छटा अनोखी है। इस स्थान पर अनेक दुर्लभ जड़ी-बूटियां भी पाई जाती हैं। किन्नर कैलाश को भगवान शिव की तपस्या स्थली माना जाता है। यहां विराजमान शिवलिंग की ऊंचाई करीब 40 फीट है। यहां की यात्रा बहुत कठिन है लेकिन हर साल काफी तादाद में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
यात्रा की शुरुआत में यहां पार्वती कुंड आता है। इसमें श्रद्धालु अपनी मन्नत बोलकर सिक्का डालते हैं। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से भगवान का स्मरण कर यहां सिक्का डालता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है तथा उसकी यात्रा निर्विघ्न संपन्न होती है। इस कुंड के दर्शन के बाद करीब 24 घंटे में किन्नर कैलाश के दर्शन होते हैं।

 

यात्रा की शुरुआत में यहां पार्वती कुंड आता है। इसमें श्रद्धालु अपनी मन्नत बोलकर सिक्का डालते हैं। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से भगवान का स्मरण कर यहां सिक्का डालता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है तथा उसकी यात्रा निर्विघ्न संपन्न होती है। इस कुंड के दर्शन के बाद करीब 24 घंटे में किन्नर कैलाश के दर्शन होते हैं।

यहां भस्म हुआ था भगवान शिव के क्रोध से कामदेव
ये है माता वैष्णो देवी की सर्वाधिक प्रचलित कथा...

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