भगवान भी बिकते हैं बस, खरीदने वाला चाहिए

meerabai_19_11_2015-300x225राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक बार ओडिशा दौरे पर थे। इस दौरान प्रार्थना सभा में कुछ लोग कुछ-न-कुछ भेंट जरूर करते थे। जिन्हें बापू सभा समाप्ति के बाद नीलाम कर देते थे।

कटक महासभा के दौरान एक कुम्हार ने बापू को श्रीकृष्ण की दो मूर्तियां भेंट कीं। सभा के अंत में जब बापू उन्हें नीलाम करने के लिए खड़े हुए तो सभा में उपस्थित सेठ भागीरथ कनोड़िया हंसकर बोले, बापू आपने तो भगवान को भी नहीं बख्शा। उनकी भी नीलामी कर रहे हैं?

तब महात्मा गांधी ने कहा, अरे भाई ये तो पहले से ही बिकते आ रहे हैं। बस इन्हें कोई बेचने वाला और खरीदने वाला चाहिए। क्या तुमने मीरा का यह पद नहीं सुना, माईं री मैंने गोविंद लीनो मोल। कोई कहे महंगो, कोई कहे सस्तो, मैंने लियो तराजू तोल। यह बात सुनकर सभी आश्चर्य चकित हो गए और वो मूर्तियां काफी महंगी बिकीं।

 

सबसे पहले श्री गणेश की पूजा क्यो की जाती है ?
लक्ष्मी जी इस तरह के कर्मों से होती हैं प्रसन्न

Check Also

काशी में क्यों खेली जाती है चिता की राख से होली? जानें

 सनातन धर्म में होली के पर्व का बेहद खास महत्व है। इस त्योहार को देशभर …