विदुर की गुप्त नीति से नाकामयाब रही पुरोचन की कोशिश

महाभारत में पुरोचन की भूमिका नकारात्मक चरित्र के रूप में है। पुरोचन, दुर्योधन का मंत्री था, जिसने पांडवों को मारने के vidurji_23_01_2016लिए लाख का घर बनवाया था। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित और भगवान श्रीगणेश द्वारा लिखित दुनिया के सबसे बड़े ग्रंथ महाभारत में उल्लेख है कि पांडवों से उनकी प्रजा बहुत स्नेह करती थी।

यह बात दुर्योधन को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। तब दुर्योधन ने अपने पिता धृतराष्ट्र से कहा कि वे पांडवों को हस्तिनापुर से हटाकर वारणावत भेज दें। जब हस्तिनापुर निवासी पांडवों के मोह से दूर हो जाएंगे तो हम फिर पांडवों को हस्तिनापुर बुला लेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रजा युधिष्ठिर को युवराज बनाने के लिए आतुर हो जाएगी। पुत्र मोह से बंधे धृतराष्ट्र ने दुर्योधन की इन बातों को तुरंत मान लिया।

वारणावत वह स्थल था, जहां प्रकृति ने अनुपम सुंदरता चारों तरफ बिखेर रखी थी। दुर्योधन ने अपने मंत्री पुरोचन से कहा कि पांडवों के रहने के लिए वारणावत में लाख का सुंदर महल बनवाया जाए। इस महल का निर्माण करते समय लाख के साथ अत्यंत ज्वलनशील पदार्थों को भी इसमें शामिल किया जाए।

पुरोचन महल बनवाने में व्यस्त हो गया। जब यह बात पांडवों के हितैषी विदुर को पता चली तो उन्होंने तुरंत इससे पांडवों को अवगत कराते हुए सचेत रहने की सलाह दी। विदुर ने लाख के उस महल में जिसका नाम ‘लाक्षागृह’ था, एक गुप्त रास्ता बनवाया जिसका पता पुरोचन को भी मालूम नहीं था।

पांडव अमूमन उस घर के बाहर प्रकृति की सुंदरता को निहारते रहते थे। एक बार कुंती ने बहुत से ब्राह्मणों को भोजन के लिए आमंत्रित किया और बाद में उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदा किया। उसी रात एक भीलनी अपने पांच पुत्रों के साथ उसी लाक्षागृह में सो गई।

उन्हें गुप्तचर से सूचना मिली कि पुरोचन और दुर्योधन उसी रात लाक्षागृह जलाने वाले हैं तब कुंती अपने पांचों पुत्रों के साथ विदुर द्वारा बनाए गए गुप्त मार्ग से बाहर निकल गईं। पुरोचन ने लाक्षागृह जला दिया, लेकिन लाक्षागृह में भीलनी और उसके पांचों पुत्र जिंदा जल कर मर गए। जब यह बात दुर्योधन को पता चली तो वह खुशी से झूमने लगा।

उधर विदुर ने पांडवों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया। इस तरह पुरोचन ने पांडवों को मृत्यु शैय्या पर सुलाने की नाकाम कोशिश की थी।

 
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