काल भैरव मंदिर से जुड़ी एक हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच बहस छिड़ गई कि उन दोनों में श्रेष्ठ कौन है. थोड़ी देर बाद दोनों के बीच बहस में भगवान शिव का जिक्र भी शामिल हो गया. यह बहस इतनी बढ़ गई कि ब्रह्माजी का पांचवां मुख भोलेनाथ की आलोचना करने लगा. ब्रह्माजी की ऐसी बातें सुनकर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए. उनके उस क्रोध से ही काल भैरव का जन्म हुआ. यही वजह है कि काल भैरव को भगवान शिव का अंश माना जाता है. शिव की आलोचना सुनते ही काल भैरव ने ब्रह्माजी का 5वां सिर अपने नाखूनों से काट डाला. काल भैरव ने जैसे ही ब्रह्माजी का 5वां सिर काटा, वह सिर उनके हाथ से चिपक गया. उसी समय भोले बाबा काल भैरव के सामने प्रकट हुए. उन्होंने काल भैरव को बताया कि ब्रह्माजी का सिर काटने की वजह से ब्रह्म हत्या. का दोष लग चुका है. अपने किए का पश्चाताप करने के लिए तुम्हें तीनों लोकों का भ्रमण करना होगा. भ्रमण के दौरान जिस जगह तुम्हारे हाथ से यह सिर छूट जाएगा, वहीं तुम इस पाप से मुक्त हो जाओगे. भ्रमण के दौरान काल भैरव काशी पहुंचे. काशी को शिवनगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां भगवान शिव को बाबा विश्वनाथ के रूप में नगर के राजा की तरह देखा जाता है. यहां गंगा तट के किनारे पहुंचते ही काल भैरव के हाथ से ब्रह्माजी का सिर छूट गया. भ्रमण के दौरान काल भैरव काशी पहुंचे. काशी को शिवनगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां भगवान शिव को बाबा विश्वनाथ के रूप में नगर के राजा की तरह देखा जाता है. यहां गंगा तट के किनारे पहुंचते ही काल भैरव के हाथ से ब्रह्माजी का सिर छूट गया.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
