क्या आप जानते हैं सोमनाथ और मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कहानी

आप सभी इस बात से वाकिफ ही होंगे कि सावन का महीना पवित्र महीना माना जाता है जो इस समय चल रहा है. ऐसे में बात करें देवो के देव महादेव की तो वह अजन्मे माने जाते है और अनंत कहे जाते है. ऐसे में कहते हैं कि एक महीने तक शिव कथा और उनकी महिमा का गुणगान न किया जाए तो जीवन का कोई मूल्य नहीं माना जाता है. वहीं पौराणिक मान्यताओं को माने तो महादेव शिवशंकर स्वयं प्रकट हुए है और उनकी लिंग रुप में भी पूजा होती है. इसी के साथ भगवान शिवलिंग रुप में 12 स्थानों पर विराजमान है और आप जानते होंगे कि सावन में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग की पूजा जोरों सोरों से होती है. आज हम आपको उन्ही में से 2 ज्योतिर्लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं और उनसे जुडी कथा के बारे में भी.

*सोमनाथ ज्योतिर्लिंग-  12 शिवलिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग है. यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र में है. शिवपुराण की माने तो दक्षप्रजापति के श्राप से बचने के लिए, सोमदेव (चंद्रदेव) ने भगवान शिव की आराधना की. व शिव प्रसन्न हुए और सोम(चंद्र) के श्राप का निवारण किया. सोम के कष्ट को दूर करने वाले प्रभु शिव की यहां पर स्वयं सोमदेव ने स्थापना की थी ! इसी कारण इस तीर्थ का नाम “सोमनाथ” पड़ा. विदेशी आक्रमणों के कारण यह मंदिर 17 बार नष्ट हो चुका है. और हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है.

*मल्लिकार्जुन- आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित ज्योतिर्लिंग है. इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान है. कहते है एक बार कार्तिक किसी बात को लेकर अपने पिता भगवान शिव से नाराज हो कर दक्षिण की दिशा में श्रीशैल पर्वत पर एकांतवास में चले गये थे, लेकिन अपने माता-पिता की सेवा और भक्ति का मोह कार्तिक त्याग नहीं पाए और उन्होंने शिवलिंग बनाकर उनकी उपासना शुरू कर दी. भगवान् शिव मां पार्वती के साथ वहां पर विराजमान है ! शिव (अर्जुन) और पार्वती (मल्लिका )एक साथ विराजमान हुए इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम मल्लिकार्जुन पड़ा. धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं. इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को सारे पापों से मुक्ति मिलती है.

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