आचार्य चाणक्य वार्तालाप में बेहद सजग थे. हर बात को उतना ही जाहिर किया करते थे जितना अत्यावश्यक होता था. उनका मानना था कि जब तक कार्य पूर्ण न हो उसे जाहिर करने और बताने से बचाना चाहिए. साथ ही गंभीरतापूर्वक उसका संरक्षण करना चाहिए. धननंद के सत्ता परिवर्तन में इसी गुण का सर्वाधिक योगदान रहा. इस गुण के कारण …
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