भगवान शनि देव का ग्रहों में विशेष स्थान है। दरअसल खगोलीय दृष्टिकोण से शनि ग्रह के वलय हमेशा से सभी को आकर्षित करते रहे हैं। दूसरी ओर ज्योतिषीय गणनाओं में भी शनि को बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान हासिल है। दरअसल शनि के प्रभाव से व्यक्ति सुख और दुख का अनुभव भोगता है। जातक की कुंडली में शनि के प्रभाव से उसे सफलता और असफलता मिलती है। यही नहीं भगवान शनि देव न्याय के देवता माने जाते हैं। व्यक्ति के कर्मों के अनुसार शनि देव फल प्रदान करते हैं। इसका जन्म पुर्नजन्म और पूर्वजन्म में भी देखने को मिलता है।
दरअसल भगवान शनि देव कुंडली के अनुसार यदि लाभ भाव में होते हैं तो भगवान अच्छा फल देते हैं यदि शनि देव निम्न भाव में होते हैं तो जातक को कष्ट सहन करना पड़ते हैं मगर शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए जातक को कुछ उपाय करना सुखद होता है। यदि जातक चीटियों के लिए आटा डाले तो उसे राहत मिल सकती है। यदि शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए शनि मंदिर में तेल, तिल, काली उड़द, काला कपड़ा आदि दान दिए जाऐं तो लाभ मिलता है।
यदि किसी बहती नदी में कोयला या फिर तांबा बहाया जाए तो जातक को बहुत लाभ मिलता है। दूसरी ओर भगवान शनि का मंत्र ऊं शं शनैश्चराय नमः का 108 बार जाप कर शनिवार का व्रत करें। तो लाभ मिलता है। शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए काले घोड़े की नाल भी अच्छी मानी जाती है। मगर योग्य उपासक या ज्योतिषी से सलाह लेना उचित होता है।
 Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
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