भारत को यूं ही त्यौहारों का देश नहीं कहा जाता है. भारतीय संस्कृति और यहां के तीज-त्यौहार पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. आए दिन भारत में कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है. यहां सालभर में जितने त्यौहार मनाए जाते हैं, उतने किसी और देश में कल्पना भी करना मुश्किल है. इतना ही नहीं यहां कई त्यौहार तो ऐसे होते हैं, जिनके साथ व्रत रखने का भी विधान है. विशेष रूप से महिलाएं और कुंवारी कन्याएं इस व्रत को रखती है. कई व्रत या त्यौहार ऐसे है जिन्हें देशभर में मनाया जाता है. ऐसा ही एक त्यौहार है ऋषि पंचमी का. ऋषि पंचमी के दिन विवाहित महिलाएं और कुंवारी कन्याएं व्रत रखती है. इस दिन सप्तऋषियों की पूजा का विधान है. बता दें कि भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन यह त्यौहार आता है. इस दिन व्रत रखने और पूजन करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं. तो आइए जानते हैं इनके बारे में…
ऋषि पंचमी पर इस तरह व्रत रखने और पूजन से मिलता है शुभ समाचार…
– हर दिन चाहे महिलाएं या कुंवारी कन्याएं देर से उठती हो हालांकि व्रत वाले दिन प्रयास रहना चाहिए कि सूर्य के उदय से पहले आप उठ जाए और स्नान अदि कर लें. साथ ही साफ़-सुथरे और सुंदर वस्त्र धारण कर लें.
– अब आप अपने पूजा घर यानी कि घर में जिस स्थान पर मंदिर है, उस स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लें. साथ ही वहां का वातावरण सुगंधित कर दें.
– अब अगली कड़ी में आपको यह करना है कि एक लकड़ी के पटिए पर सप्तऋषियों का चित्र या फिर विग्रह लगाए. अब साफ-सुथरे कलश में शुद्ध जल भरकर कलश की स्थापना करें.
– अगली कड़ी में आप विधिवत रूप से घी, दूध, गंगाजल आदि से सप्तऋषियों का अभिषेक करें. ऋषियों को धूप-दीप दिखाए और पीले फल-फूल, मिठाई या अन्य किसे वस्तु का भोग लगाए.
– अब अपनी क्षमाओं के लिए माफी मांगें. साथ ही सदैव दूसरों की सहायता का संल्प लें.
– अंतिम कड़ी में ऋषि पंचमी के व्रत की कथा सुनाए व सुने और फिर सप्तऋषियों की आरती उतारें. इसके बाद आरती होते से ही घर में उपस्थित बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त करें.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।