संभाषण, संप्रेषण, वार्तालाप संवाद के मुख्य अंग हैं. अक्सर लोग मौके पर महत्वपूर्ण बात नहीं कह पाते हैं. उन्हें अच्छे भाव और शब्द तुरंत नहीं सूझते हैं. वे चर्चाओं में हिचकते हैं. मीटिंग्स में चाहकर भी कुछ कह नहीं पाते हैं. ये सभी दोष वाक् शक्ति के अभाव हैं. कुछ लोगों में उच्चारण का दोष भी पाया जाता है. उक्त सभी वाणी दोषों से मुक्ति के लिए वाग्देवी सरस्वती की वाक् शक्ति विवर्धक स्तुति का निरंतर पाठ और उच्चारण करना चाहिए. बच्चों को यह स्तुति नियमित प्रार्थना में सिखाई जानी चाहिए. कला साहित्य और जनसंवाद से जुड़े लोगों के यह स्तुति अत्यंत शुभकारी है.
सरस्वतीं शारदां च कौमारीं ब्रह्मचारिणीम्
वाणीश्वरी बुद्धिदात्रीं भारतीं भुवनेश्वरीम्
चंद्रघण्टां मरालस्थां जगन्मातरमुत्तमाम्
वरदायिनी सदा वन्दे चतुर्वर्गफलप्रदाम्
द्वादशैतानी नामानि सततं ध्यानसंयुतः
यः पठेत् तस्य जिह्वाग्रे नूनं वसति शारदा
स्तुति का पाठ नियमित पाठ पूजा में करने से वाक् संबंधी सभी अवरोध समाप्त होते हैं. इसका पाठ सभी आयुवर्ग के लोग कर सकते हैं. सरस्वती को सुरों की देवी भी कहा जाता है. गायन वादन और संगीत की साधना में जुटे लोगों को इस स्तुति को नियमित जाप करना चाहिए. इस स्तुति से बुध ग्रह संबंधी दोष भी शांत होते हैं. इस स्तुति के साथ मां वीणावादिनी और श्रीगणेश की साधना और आराधना से अत्यधिक लाभ होता है. छात्र परीक्षा प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करते हैं.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।