पंचांग के अनुसार, आज यानी 15 दिसंबर को सफला एकादशी व्रत किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन विशेष चीजों का दान भी जरूर करना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में।
तिथि: कृष्ण एकादशी
मास पूर्णिमांत: पौष
दिन: सोमवार
संवत्: 2082
तिथि: कृष्ण एकादशी – रात्रि 09 बजकर 19 मिनट तक, फिर द्वादशी
योग: शोभन – दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक
करण: बव – प्रात: 08 बजकर 03 मिनट तक
करण: बालव – रात्रि 09 बजकर 19 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: प्रातः 07 बजकर 06 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 26 बजकर पर
चंद्रोदय: 16 दिसंबर को प्रात: 03 बजकर 45 बजकर पर
चंद्रास्त: दोपहर 02 बजकर 04 मिनट पर
सूर्य और चन्द्रमा की राशियां
सूर्य देव- वृश्चिक राशि
चन्द्र देव-तुला राशि
आज के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: प्रात: 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक
अमृत काल: 16 दिसंबर को प्रात: 04 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 03 मिनट तक
आज के अशुभ समय
राहुकाल: प्रात: 08 बजकर 24 मिनट से प्रात: 09 बजकर 41 मिनट तक
गुलिकाल: दोपहर 01 बजकर 34 मिनट से दोपहर 02 बजकर 51 मिनट तक
यमगण्ड: प्रात: 10 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 16 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव चित्रा नक्षत्र में रहेंगे।
चित्रा नक्षत्र: प्रात: 11 बजकर 08 मिनट ।
सामान्य विशेषताएं: बुद्धिमान, दृढ़ इच्छाशक्ति वाले, व्यावहारिक, संवेदनशील, सहजज्ञान युक्त, साहसी, ऊर्जावान, चिड़चिड़े, आकर्षक आकृति, मोहक नेत्र और वस्त्र-आभूषणों के शौकीन
नक्षत्र स्वामी: मंगल देव
राशि स्वामी: बुध देव और शुक्र देव
देवता: त्वष्टा (सृष्टि के देवता)
प्रतीक: रत्न
सफला एकादशी का धार्मिक महत्व
सफला एकादशी पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत पाप नाश, शांति और सकारात्मक ऊर्जा देने वाला माना जाता है। इस दिन उपवास, पूजा और दान का विशेष महत्व होता है। प्रातः स्नान कर विष्णु भगवान की पूजा की जाती है और व्रतधारी पूरे दिन संयम रखते हैं। शाम को दीपदान और कथा श्रवण शुभ माना जाता है। अगले दिन द्वादशी पर पारण करके व्रत पूरा किया जाता है। यह व्रत जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शक्ति बढ़ाने वाला माना जाता है।
सफला एकादशी व्रत विधि
ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान करें और पूजा स्थान को अच्छी तरह साफ करके शुद्ध वातावरण बनाएं।
भगवान विष्णु का ध्यान करके शांत मन से व्रत का संकल्प लें।
हल्दी, चावल, पुष्प और धूप-दीप के साथ विधि अनुसार पूजा करें तथा तुलसी दल अर्पित करें।
सफला एकादशी की कथा श्रवण करें और पूरे दिन फलाहार या निर्जल व्रत का पालन करें।
क्रोध, विवाद और नकारात्मक विचारों से दूर रहकर दिन को शांत और सात्विक तरीके से बिताएं।
शाम के समय दीप जलाकर विष्णु भगवान की आरती करें, क्योंकि इस दिन दीपदान अत्यंत शुभ माना जाता है।
अगले दिन द्वादशी पर सात्विक आहार से पारण करें और जरूरतमंदों को अन्न, कपड़ा या फल का दान करके व्रत को पूर्ण करें।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।