धन की देवी मां लक्ष्मी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं। जहां आपने अन्य देवताओं की अर्धांगिनी को उनके साथ विराजमान देखा होगा वहीं मां लक्ष्मी को प्रभु श्री हरि के चरणों में बैठा देखा होगा। ऐसे में दो अलग-अलग पौराणिक कथाओं के माध्यम से मां लक्ष्मी का विष्णु जी के पैर दबाने का कारण बताया गया है।
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाता है। कई तस्वीरों में आपने देवी लक्ष्मी को भगवान विष्णु के चरणों में बैठे हुए और उनके चरण दबाते हुए देखा होगा। लेकिन क्या आप इसका कारण जानते हैं। माता लक्ष्मी द्वारा भगवान विष्णु के पैर दबाने के पीछे एक नहीं, बल्कि दो-दो कथाएं प्रचलित हैं। ऐसे में जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथाएं।
मां लक्ष्मी जी ने बताया कारण
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नारद मुनि देवी लक्ष्मी से भगवान विष्णु के पैर दबाने का कारण पूछा था। इस पर मां लक्ष्मी बताती हैं कि चाहे देवता हो या मनुष्य, हर व्यक्ति पर ग्रहों की चाल का प्रभाव पड़ता है। माना जाता है कि स्त्रियों के हाथ में देवगुरु का निवास होता हैं, वहीं, पुरुषों के पैरों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य का वास माना गया है। इसलिए यह माना जाता है, कि जब भी एक स्त्री, पुरुष के चरण स्पर्श करती है, तो देव व दानव का मिलन होता है, जिससे धन लाभ के योग बनते हैं।
अन्य पौराणिक कथा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी उनके सौंदर्य से बहुत ईर्ष्या करती थीं। अलक्ष्मी की कोई पूजा नहीं करता था जिस कारण जहां लक्ष्मी जाती, अलक्ष्मी भी वहीं पहुंच जाती थीं। इसी कारण मां लक्ष्मी ने उन्हें क्रोध के चलते यह श्राप दिया था, कि जहां भी ईर्ष्या, लालच, आलस्य और गंदगी होगी, वहीं पर तुम्हारा वास होगा। यही कारण है कि मां लक्ष्मी हमेशा विष्णु जी के चरणों में बैठकर उन्हें साफ करती रहती हैं, ताकि वहां अलक्ष्मी का वास न हो सके।
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