वट पूर्णिमा व्रत पर बन रहे हैं कई योग

आज यानी 10 जून को वट पूर्णिमा व्रत किया जा रहा है। इस व्रत को हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर किया जाता है। इस व्रत को विधिपूर्वक सुहागन महिलाएं व्रत करती हैं। आज वट पूर्णिमा व्रत का बड़े मंगल का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन वट वृक्ष (बरगद) की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से पति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। वट पूर्णिमा व्रत के दिन कई योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं आज का पंचांग।

तिथि: चतुर्दशी प्रात: 11 बजकर 35 मिनट तक

योग: सिद्ध दोपहर 01 बजकर 45 बजे तक

करण: वनिज प्रातः 11 बजकर 35 बजे तक

करण: विष्टि प्रातः 12 बजकर 27 बजे तक, 11 जून तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर

सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 19 मिनट पर

चंद्रोदय: शाम 06 बजकर 45 मिनट पर

चन्द्रास्त: 11 जून को सुबह 04 बजकर 55 मिनट पर

सूर्य राशि: वृषभ

चंद्र राशि: वृश्चिक

पक्ष: शुक्ल

शुभ समय अवधि
अभिजीत: प्रात: 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

अशुभ समय अवधि
गुलिक काल: दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से दोपहर 02 बजकर 05 मिनट तक

यमगंडा: प्रात: 08 बजकर 52 मिनट से प्रात 10 बजकर 36 बजे मिनट तक

राहु काल: दोपहर 03 बजकर 50 मिनट से प्रात: 05 बजकर 34 मिनट तक

आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे…
अनुराधा नक्षत्र: शाम 06 बजकर 02 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: धार्मिक प्रवृत्ति, समृद्धि, विपरीत लिंग की ओर आकर्षण, आक्रामक, बुद्धिमान, यौन शीतलता, परिश्रमी और स्पष्टवादी

नक्षत्र स्वामी: शनि

राशि स्वामी: मंगल

देवता: मित्र – मित्रता के देवता

प्रतीक: अंतिम रेखा पर एक फूल

वट सावित्री व्रत (पूर्णिमा)
वट पूर्णिमा का व्रत ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रखा जाता है। इस साल यह व्रत आज यानी 10 जून मंगलवार को किया जा रहा है। यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलता है। इस दिन सुहागन महिलाएं वट वृक्ष (बरगद) की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। मान्यता है कि सावित्री ने इसी व्रत और वट वृक्ष की पूजा से यमराज से अपने पति को वापस पाया था। तभी से यह व्रत पति की आयु बढ़ाने के लिए किया जाता है।

वट सावित्री व्रत (पूर्णिमा) पूजा विधि-
स्नान करके स्वच्छ व नए वस्त्र पहनें और सोलह श्रृंगार करें।
वट वृक्ष (बरगद) के नीचे जाकर पहले स्थान की साफ-सफाई करें और पूजा की सारी सामग्री वहाँ सजा लें।

सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा या चित्र को लाल कपड़े में लपेटकर रखें और उन्हें फल अर्पित करें।

बरगद का एक पत्ता लेकर उसे अपने बालों में सजाएं।
इसके बाद सावित्री-सत्यवान की कथा स्वयं पढ़ें या पंडित जी से श्रवण करें।

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