उज्जैन में क्यों निकाली जाती है महाकाल की सवारी? जानें धार्मिक महत्व

12 ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग शामिल है। यह मंदिर उज्जैन में स्थित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाकालेश्वर ज्योति के रूप में स्वयं स्थापित हुए हैं। वैसे तो मंदिर में रोजाना भक्तों को भीड़ देखने को मिलती है, लेकिन सावन के महीने में महाकालेश्वर के दर्शन करने के लिए अधिक संख्या में भक्त दूर-दूर से आते हैं। हर साल सावन और भाद्रपद के महीने में महाकाल की सवारी निकाली जाती है। इसे बाबा महाकाल की सवारी के नाम से जाना जाता है। इस उत्सव को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है और अधिक भक्त शामिल होते हैं। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कब-कब निकलेगी महाकाल की सवारी और इसके धार्मिक महत्व के बारे में।

महाकाल की सवारी का इतिहास
सावन और भाद्रपद के महीने में निकलने वाली महाकाल की विशेष सवारी होती है। आज भी इस प्राचीन परंपरा को विधिपूर्वक निभाया जाता है। इस सवारी को राजा भोज ने बड़े रूप में शुरू किया था। इस दौरान महलकाल की सवारी नए रथ और हाथी शामिल किए थे।

कब-कब निकलेगी महाकाल की सवारी
पहली सवारी- 14 जुलाई

दूसरी सवारी- 21 जुलाई

तीसरी सवारी- 28 जुलाई

चौथी सवारी – 4 अगस्त

पांचवी सवारी- 11 अगस्त

छठी सवारी- 18 अगस्त

महाकाल की सवारी का धार्मिक महत्व
महाकाल की सवारी का विशेष महत्व है। महाकाल को रथ पर बैठाकर नगर का भ्रमण कराया जाता है। इस सवारी के दौरान भक्त महाकाल के जयकारे लगाते हैं। ढोल नगाड़े बजाए जाते हैं। इस उत्सव में शामिल होने के लिए भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। यात्रा में तलवारबाज और घुड़सवार भी शामिल होते हैं। सवारी को महाकाल की शक्ति और महिमा का प्रतीक माना जाता है। महाकाल की सवारी का वर्णन ग्रंथों में भी देखने को मिलता है।

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