भोलेनाथ के त्रिनेत्र और त्रिशूल का है प्रतीक बेलपत्र, जानें शिव पूजा में इसका महत्व और कैसे हुई उत्पत्ति

शिवलिंग पर सिर्फ एक बिल्व पत्र अर्पित करने से क्या होता है। यह भोलेनाथ को इतना प्रिय क्यों हैं। इसे शिवजी को अर्पण करने से कितने फायदे मिल सकते हैं। यदि आपके भी मन में ये सभी सवाल हैं, तो आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

बेलपत्र तीन पत्तियों से युक्त होती है। ये तीन पत्तियां तीन गुणों सत, रज और तमोगुण का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह शिव के तीन नेत्रों, उनके त्रिशूल, त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करती है। मूल भाग ब्रह्म रूप, मध्य भाग विष्णु रूप एवं अग्रभाग शिव रूप है।

बेलपत्र (belpatra benefits) तीन जन्मों के पापों को नष्ट करने वाला है। कहते हैं कि बेलपत्र को चढ़ाने से हजारों करोड़ गजदान, सैकड़ों वाजपेय यज्ञ के अनुष्ठान तथा करोड़ों कन्याओं के महादान के समान पुण्य मिलता है। बिल्वाष्टकम् स्तोत्र में इसकी महिमा के बारे में बताया गया है।

बिल्वाष्टकम् स्तोत्र
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम्

त्रिजन्मपाप संहारं एक बिल्वं शिवार्पणम्॥

अखण्ड बिल्व पात्रेण पूजिते नन्दिकेश्र्वरे

शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो एक बिल्वं शिवार्पणम्॥

शालिग्राम शिलामेकां विप्राणां जातु चार्पयेत्

सोमयज्ञ महापुण्यं एक बिल्वं शिवार्पणम्॥

दन्तिकोटि सहस्राणि वाजपेय शतानि च

कोटि कन्या महादानं एक बिल्वं शिवार्पणम्॥

लक्ष्म्या स्तनुत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्

बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि एक बिल्वं शिवार्पणम्॥

दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्

अघोरपापसंहारं एक बिल्वं शिवार्पणम्॥

काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनम्

प्रयागमाधवं दृष्ट्वा एक बिल्वं शिवार्पणम्॥

मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे

अग्रतः शिवरूपाय एक बिल्वं शिवार्पणम्॥

मां पार्वती के पसीने से हुई उत्पत्ति
स्कंद पुराण में बेल वृक्ष की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। धार्मिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती मंदराचल पर्वत पर तपस्या कर रही थीं। तभी उनके मस्तक से पसीने की बूंद धरती पर गिरीं, जिनसे बेल का पेड़ उत्पन्न हुआ। माता पार्वती ने इसे ‘बिल्व वृक्ष’ नाम दिया और कहा कि इसके पत्तों से भोलेनाथ की पूजा करने वाले भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

बेलपत्र रोगों में लाभकारी है
बेलपत्र शिवजी की पूजा में ही नहीं, आयुर्वेद में भी प्रयुक्त होता है। इसके फल में औषधीय गुणों का खजाना होता है। बेल के पत्तों और फल में विटामिन सी, विटामिन ए, कैल्शियम, पोटैशियम, और फाइबर जैसे पोषक तत्व होते हैं। यह वात, पित्त और कफ दोषों को ठीक करता है।

एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण इसमें पाए जाते हैं। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और कब्ज की परेशानी को दूर करता है। बेल के पत्तों का रस डायबिटीज में रामबाण का काम करता है। त्वचा रोगों और सांस संबंधी परेशानियों को भी दूर करता है।

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