श्रावण मास (Sawan 2025) महादेव की साधना के लिए सबसे शुभ माना जाता है जिसका भक्त और योगी पूरे साल इंतजार करते हैं। भगवान शिव की पूजा वैदिक पौराणिक और तांत्रिक विधियों से की जाती है। शिवलिंग के रूप में उनकी पूजा मूर्ति पूजा से श्रेष्ठ है। मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक शिवलिंग की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
देवों वों के देव यानि महादेव की साधना-आराधना के लिए श्रावण मास को सबसे ज्यादा शुभ और पुण्यदायी माना गया है। यही कारण है कि न सिर्फ हर शिव भक्त को बल्कि बड़े-बड़े सिद्ध योगियों को भी इस पावन मास का पूरे साल इंतजार रहता है। भगवान शिव की पूजा के अनेक विधि विधान हैं। इसमें वैदिक विधि, पौराणिक विधि, तांत्रिक विधि और योग्यता सहित अन्य कई विधियां शामिल हैं। इन्हीं विधियों के अनुसार भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
जिस प्रकार योगी, योग विधि द्वारा शिव का ध्यानकर पूजा करते हैं, उसी तरह अन्य उपासक भी वैदिक मंत्र सहित बहुत धूमधाम से अनेक वाद्य यंत्रों का प्रयोग कर पूजा करते हैं। भगवान शिव जी ब्रह्मणों के व्यापक ब्रह्म कहे जाते हैं, इसलिए उनकी शिवलिंग के रूप में विशेष पूजा की जाती है।
शिव ही परब्रह्म हैं
शिव ही परब्रह्म हैं। मूर्ति की अपेक्षा शिवलिंग में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक शिवलिंग की एक पूजा करनी चाहिए। यक्ष और कीर्ति की इच्छा रखने वाले साधकों को शिवलिंग तथा संतान की इच्छुकों को माखन के शिवलिंग की पूजा करनी शुभ मानी जाती है।
शिव को कुबेर का अधिपति भी माना गया है। यही कारण है कि भगवान शिव की साधना सुख-संपत्ति के साथ धन से जुड़ी मनोकामना को भी पूरा करने वाली मानी गई है। शिव की पूजा सभी प्रकार के रोग-शोक और ताप को दूर करने वाली भी है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।