पंचांग के अनुसार विश्वकर्मा जयंती कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। ऐसे में इस साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा की जाएगी। विश्वकर्मा जी को सृष्टि के प्रथम शिल्पकार के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन पर शिल्पकार और व्यापारी लोग अपने व्यापारिक यंत्रों की पूजा करते हैं।
भगवान विश्वकर्मा , ब्रह्मा जी के पुत्र हैं, जिसकी उपासना मुख्य रूप से व्यवसायिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए की जाती है। इस दिन पर विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रान्ति का क्षण देर रात 1 बजकर 55 मिनट पर रहने वाला है। इस पावन अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। चलिए पढ़ते हैं विश्वकर्मा जी की आरती।
विश्वकर्मा जयंती का महत्व
भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के अस्त्र-शस्त्र से लेकर उनके सिंहासन और महलों का भी निर्माण किया है। उनके द्वारा ही सोने की लंका, भगवान श्रीकृष्ण की द्वारिका और पांडवों के इंद्रप्रस्थ का भी निर्माण किया गया था। कामकाजी लोग अपने बेहतर भविष्य और कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए विश्वकर्मा जी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन पर मशीनों, औजारों और वाहनों की भी पूजा करने का विधान है।
भगवान विश्वकर्मा की आरती
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक स्तुति धर्मा ।। 1 ।।
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया।। 2।।
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा । ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्ध आई ।। 3 ।।
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बन कर दूर दुःख कीना ।। 4 ।।
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
जब रथकार दम्पति, तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी ।। 5 ।।
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे ।
द्विभुज, चतुर्भुज, दसभुज, सकल रूप साजे ।। 6 ।।
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जाये, अटल शांति पावे ।। 7 ।।
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
श्री विश्वकर्मा जी की आरती जो कोई जन गावे ।।
कहत गजानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे ।। 8 ।।
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।