मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शिवलिंग पर अर्पित करें ये चीज़ें

मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इसे भगवान श्रीकृष्ण के विशेष स्वरूप से भी जोड़ा गया है। मान्यता है कि इस दिन किए गए सभी अनुष्ठान, पूजा और दान का फल सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक मिलता है। लोग इस अवसर पर स्नान, दान और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इस पावन दिन पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। साथ ही, शिवलिंग पर कुछ विशेष वस्तुएं अर्पित करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और धन-धान्य की वृद्धि होती है। इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा का यह दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक जागरूकता और धार्मिक क्रियाओं को करने का आदर्श समय है। यह न केवल मन और आत्मा की शांति देता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि भी लाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा ओर शिवलिंग से जुड़े उपाय
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर पर शिवलिंग पर कुछ विशेष वस्तुएं अर्पित करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। इन सात वस्तुओं को शिवलिंग पर चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है:

कच्चा दूध – शुद्ध गाय का कच्चा दूध अर्पित करने से मानसिक शांति मिलती है और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
दही – दही से अभिषेक करने पर जीवन में स्थिरता आती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
शहद – शिवलिंग पर शहद अर्पित करने से सौभाग्य बढ़ता है और कर्ज या बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
बिल्व पत्र – भगवान शिव को बिल्व पत्र अत्यंत प्रिय हैं। तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र को उल्टा अर्पित करने से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
गन्ने का रस – गन्ने के रस से अभिषेक करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
काले तिल – काले तिल चढ़ाने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है और रुके हुए धन की प्राप्ति संभव होती है।
अक्षत (चावल) – अक्षत अर्पित करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं और धन के भंडार हमेशा भरे रहते हैं।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 04 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस वर्ष, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 04 दिसंबर को सुबह 08:37 बजे हो रही है और यह तिथि 05 दिसंबर को सुबह 04:43 बजे तक रहेगी। इसलिए, 04 दिसंबर को ही मार्गशीर्ष पूर्णिमा का पर्व विशेष विधियों और पूजा-अर्चना के साथ मनाया जाएगा।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नियम

घर और मंदिर की अच्छी तरह सफाई करें, क्योंकि मान्यता है कि मां लक्ष्मी साफ-सुथरी जगह में ही वास करती हैं।
पूर्णिमा के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
किसी से तकरार या झगड़ा न करें।
किसी के बारे में नकारात्मक या गलत विचार मन में न लाएं।
पूजा, दान और अन्य अनुष्ठानों का पालन श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।

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